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भारत ने मंगोलिया को भेंट किया ‘मंगोलियाई कंजूर’ के 50 खंडों का एक सेट

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर केंद्र सरकार ने मंगोलिया को मंगोलियाई कंजूर की 50 खंडों का एक सेट उपहार स्वरूप भेंट किया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) द्वारा प्रकाशित यह धर्म ग्रंथ भारत और मंगोलिया के संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। इस संबंध में राष्ट्रीय संस्कृति मंत्रालय ने ट्वीट कर जानकारी दी।

By संतोष सिंह 
Updated Date

शाश्वत तिवारी

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नई दिल्ली। बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर केंद्र सरकार ने मंगोलिया को मंगोलियाई कंजूर की 50 खंडों का एक सेट उपहार स्वरूप भेंट किया है। बताया जा रहा है कि राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन (एनएमएम) द्वारा प्रकाशित यह धर्म ग्रंथ भारत और मंगोलिया के संबंधों को और मजबूती प्रदान करेगा। इस संबंध में राष्ट्रीय संस्कृति मंत्रालय ने ट्वीट कर जानकारी दी।

बता दें कि भारत का संस्कृति मंत्रालय सद्भावना कार्य के रूप में मंगोलियाई कंजूर के 108 खंडों के पुन:मुद्रण का कार्य कर रहा है। जिनके लगभग 100 सेटों को 2022 तक मंगोलिया स्थित बौद्ध धर्म के मुख्य केंद्रों में वितरित करने का लक्ष्य रखा गया है। यह काम प्रोफेसर लोकेश चंद्र की देख रेख में किया जा रहा है।

मंगोलियाई कंजूर के 108 खंडों के पुन:मुद्रण का कार्य कर रहा है संस्कृति मंत्रालय

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सामने प्रस्तुत किया था पहला सेट

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मंगोलियाई कंजूर के पांच खंडों का पहला सेट 4 जुलाई, 2020 को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेंट किया गया था। इस दिन गुरु पूर्णिमा थी, जिसे ‘धर्म चक्र’ दिवस के रूप में भी जाना जाता है।

मंगोलिया के राजदूत को सौंपा गया पहला सेट

राष्ट्रपति कोविंद को भेंट करने बाद मंगोलियाई कंजूर को संस्कृति मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) और पर्यटन मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रहलाद सिंह पटेल ने भारत में मंगोलिया के राजदूत गोंचिंग गनबोल्ड को एक सेट सौंपा। इस दौरान अल्पसंख्यक मामलों के राज्य मंत्री किरेन रिजिजू भी मौजूद थे।

तिब्बती भाषा से किया जा रहा है अनुवाद

बौद्ध विहित पाठ ‘मंगोलियाई कंजूर’ को मंगोलिया में सबसे महत्त्वपूर्ण धार्मिक पाठ माना जाता है। इसका अनुवाद तिब्बती भाषा से किया जा रहा है और शास्त्रीय मंगोलियाई में लिखा गया है।

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क्या है कंजूर का अर्थ ?

मंगोलियाई भाषा में ‘कंजूर’ का शाब्दिक अर्थ ‘संक्षिप्त आदेश’ है, जो विशेष रूप से भगवान बुद्ध द्वारा कहे गए ‘शब्द’ को संदर्भित करता है।

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