इसरो (ISRO) को शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली है। बता दें कि इसरो (ISRO) की रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक (लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक) का परीक्षण सफल रहा है।
नई दिल्ली। इसरो (ISRO) को शुक्रवार को बड़ी सफलता मिली है। बता दें कि इसरो (ISRO) की रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक (लॉन्च व्हीकल को दोबारा इस्तेमाल करने की तकनीक) का परीक्षण सफल रहा है। कर्नाटक के चित्रदुर्ग स्थित एयरोनॉटिकल टेस्ट रेंज में शुक्रवार की सुबह करीब 7.10 बजे इसरो का रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक(ISRO Reusable Launch Vehicle Pushpak)सफलतापूर्वक ऑटोमैटिक तरीके से रनवे पर लैंड हुआ। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग पर इसरो (ISRO) ने बयान जारी कर बताया कि रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक के मामले में इसरो ने बड़ी कामयाबी हासिल की है।
रीयूजेबल लॉन्चिंग व्हीकल के पहले दो परीक्षण भी रहे थे सफल
इसरो (ISRO) इससे पहले भी दो बार रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग करा चुका है। बीते साल इसरो ने रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल के परीक्षण के दौरान आरएलवी को वायुसेना के चिनूक हेलीकॉप्टर से करीब साढ़े चार किलोमीटर की ऊंचाई से छोड़ा गया। परीक्षण के दौरान आरएलवी ने सफलतापूर्वक रनवे पर लैंड किया। आरएलवी ने ब्रेक पैराशूट, लैंडिंग गियर ब्रेक और नोज व्हील स्टीयरिंग सिस्टम की मदद से सफल लैंडिंग की। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल की सफल लैंडिंग से इसरो द्वारा विकसित की गई तकनीक जैसे नेवीगेशन, कंट्रोल सिस्टम, लैंडिंग गियर और डिक्लेयरेशन सिस्टम की सफलता पर भी मुहर लग गई है।
अंतरिक्ष अभियानों की लागत में आएगी कमी
पहले के परीक्षणों के आधार पर इसरो ने इस बार आरएलवी के एयरफ्रेम स्ट्रक्चर और लैंडिंग गियर को पहले की तुलना में और ज्यादा मजबूत बनाया ताकि लॉन्च व्हीकल लैंडिंग के वक्त ज्यादा भार को भी वहन कर सकें। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल पुष्पक मिशन को विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर ने लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम सेंटर और इसरो की इर्सियल सिस्टम्स यूनिट के साथ मिलकर पूरा किया गया। साथ ही वायुसेना ने भी इसमें सहयोग किया। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल तकनीक इसरो की सबसे चुनौतीपूर्ण तकनीक में से एक है। इस तकनीक की मदद से इसरो के अंतरिक्ष अभियानों की लागत कम होगी। रीयूजेबल लॉन्च व्हीकल टेस्टिंग फ्लाइट का पहला परीक्षण 23 मई 2016 को श्रीहरिकोटा में किया गया था।
किफायती बनेंगे अंतरिक्ष मिशन
इसरो चीफ एस सोमनाथ (ISRO Chief S Somnath) ने बताया कि भारत के अंतरिक्ष मिशन को किफायती बनाने के लिए पुष्पक लॉन्च व्हीकल (Pushpak Launch Vehicle ) को भारत में बनाना एक बड़ा और चुनौतीपूर्ण कदम था। लॉन्च व्हीकल में ही सबसे महंगे इलेक्ट्रोनिक्स पार्ट होते हैं। ऐसे में दोबारा इस्तेमाल होने वाला लॉन्च व्हीकल बनने से यह व्हीकल मिशन की सफलता के बाद वापस पृथ्वी पर सुरक्षित उतर सकेगा और अगले मिशन में फिर से इसी लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल किय जा सकेगा। अंतरिक्ष में कचरा कम करने की दिशा में भी ये अहम कदम है।