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कुलपति कलंक कथा : छह माह पुरानी इनोवा क्रिस्टा सिर्फ 10 लाख रुपये में बिकी, चौंकिए मत ऐसे विनय पाठक ने किया खेला!

छह महीने पुरानी 25 रुपये लाख की इनोवा क्रिस्टा सिर्फ 10 लाख रुपये में बिकी। यह सुनकर आप भी चौंक हो गए होंगे कि ऐसा ऑफर कहां मिल रहा है? बता दें कि ये अनोखे ऑफर छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय कुमार पाठक के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच के दौरान खेल उजागर हुआ । बता दें कि वीसी विनय पाठक के करीबी अजय मिश्रा के कहने पर दूसरे आरोपित अजय जैन ने अपने बेटे राहुल जैन के नाम जुलाई 2017 में इनोवा क्रिस्टा खरीदकर वीसी विनय 'पाठक को दे दी थी।

By संतोष सिंह 
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लखनऊ। छह महीने पुरानी 25 रुपये लाख की इनोवा क्रिस्टा सिर्फ 10 लाख रुपये में बिकी। यह सुनकर आप भी चौंक हो गए होंगे कि ऐसा ऑफर कहां मिल रहा है? बता दें कि ये अनोखे ऑफर छत्रपति शाहूजी महाराज कानपुर विश्वविद्यालय के वीसी विनय कुमार पाठक के खिलाफ दर्ज मुकदमे की जांच के दौरान खेल उजागर हुआ । बता दें कि वीसी विनय पाठक के करीबी अजय मिश्रा के कहने पर दूसरे आरोपित अजय जैन ने अपने बेटे राहुल जैन के नाम जुलाई 2017 में इनोवा क्रिस्टा खरीदकर वीसी विनय ‘पाठक को दे दी थी।

12वीं पास को सिर्फ काम सीखने के लिए  दो लाख की सैलरी

12वीं पास और कोई काम नहीं आता हो और सिर्फ काम सीखने के लिए दो लाख की सैलरी। ये करिश्मा एकेटीयू में हुए भ्रष्टाचार की जांच के दौरान सामने आया। बता दें कि आरोपित अजय जैन का बेटा राहुल अजय मिश्रा की हरियाणा के फरीदाबाद स्थित कंपनी सॉलिटेयर प्रिंटोटेक प्राइवेट लिमिटेड में निदेशक है। जब एसटीएफ ने इस बारे में अजय जैन से पूछताछ की तो उसने बताया कि उसका बेटा सिर्फ इंटर तक पढ़ा है और कोई काम नहीं करता था।

इसलिए अजय मिश्रा से कहकर उसकी कंपनी में नौकरी दिलवा दी थी। वह उस कंपनी में सिर्फ प्रिंटिंग का काम सीखने जाता था। वहीं आरएफआईडी लॉक वाले मामले में आगरा विवि के तत्कालीन सहायक कुल सचिव अजय कुमार गौतम (वर्तमान में कानपुर विवि में) का कहना है कि उन्हें वीसी विनय पाठक ने फाइल साइन करने के लिए नहीं बुलाया था। हालांकि आगरा विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलसचिव ने एसटीएफ के सामने बयान दिया था कि उन्हें वीसी ने साइन करने के लिए बुलाया था।

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कुलपति साहब को हरियाणा नंबर नहीं आया पसंद, तो बदल गया नंबर

एसटीएफ द्वारा हाई कोर्ट में दाखिल किए गए काउंटर एफिडेविट में विवेचक डीएसपी अवनीश्वर श्रीवास्तव ने इसका जिक्र किया है। बता दें कि अजय मिश्रा ने 2017 के मध्य में अजय जैन से कहा कि वीसी विनय पाठक साहब को एक गाड़ी गिफ्ट करनी है। ताकि विश्वविद्यालयों का काम मिलता रहे। इस के तहत अजय जैन ने जुलाई 2017 में कुलपति विनय कुमार पाठक के पसंद के रंग की इनोवा क्रिस्टा, जिसकी कीमत करीब 25 रुपये लाख थी, अपने बेटे के नाम पर खरीदकर कानपुर भिजवा दी थी। पहले यह गाड़ी हरियाणा के रजिस्ट्रेशन नंबर पर थी। कुछ दिन बाद अजय मिश्रा ने अजय जैन से कहा कि कुलपति साहब को हरियाणा नंबर की गाड़ी से चलना ठीक नहीं लग रहा है। सब लोग इसे नोटिस करते है। इसके चलते छह माह के अंदर ही गाड़ी आरटीओ के जरिए वीसी विनय पाठक के नाम पर उनके
कानपुर के पते पर ट्रांसफर हो गई और गाड़ी का नंबर यूपी 78 एफसी 8228 हो गया।

इस गाड़ी के एवज में अजय जैन की कंपनी राहुल ट्रेडर्स के नाम पर वीसी की तरफ से 10 रुपये लाख ट्रांसफर कर दिए गए। अजय जैन के मुताबिक इन 10 लाख रुपये को अजय मिश्रा ने अपने काम के एवज में एडजस्ट रिकॉर्ड के जरिए यह बात प्रमाणित की है कि गाड़ी खरीद करवा लिया। एसटीएफ ने अपनी जांच में गाड़ी के सर्विस जाने के बाद से ही कानपुर में वीसी द्वारा इस्तेमाल की जा रही थी। एसटीएफ ने रिश्वत के रूप में महंगे गिफ्ट लेन- देन के आधार पर ही पाठक के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13 की और अजय मिश्रा व अजय जैन के खिलाफ धारा 7ए/8 बढ़ाई थी।

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