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Kerala High Court: बलात्कार की नई परिभाषा देते हुए बोले न्यायमूर्ति- जांघों को गलत तरीके से छूना भी दुष्कर्म

बच्चियों और महिलाओं के बढ़ते बलात्कार को लेकर केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) कानूनी सीमाओं के दायरे को बड़ा करते हुए एक नई परिभाषा दी है।

By आराधना शर्मा 
Updated Date

केरल: आए दिन बच्चियों और महिलाओं के बढ़ते बलात्कार को लेकर केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) कानूनी सीमाओं के दायरे को बड़ा करते हुए एक नई परिभाषा दी है। केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने ऐतिहासिक फैसला सुनते हुए कहा-किसी भी लड़की या महिला की जांघों को गलत तरीके से छूना और कसकर पकड़ना इतना ही नहीं अपनी यौन इच्छाओं की पूर्ति के लिए जांघों पर हाथ फेरना भी बलात्कार (Rape) ही है।

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आपको बता दें, 11 साल की बच्ची से कई बार दरिंदगी करने के मामले में उम्रकैद (life prison) की सजा काट रहे एक व्यक्ति की अपील पर केरल हाईकोर्ट (Kerala High Court) ने यह अहम बयान जारी किया है।

जस्टिस ने सुनाया बड़ा फैसला

जस्टिस (Justice) के विनोद चंद्रन (Vinod Chandran) और जस्टिस जियाद रहमान (Justice Ziyad Rehman) की पीठ ने सोमवार को अपने इस ऐतिहासिक फैसले (historical verdict) में कहा, अगर दुष्कर्म के इरादे से किसी बच्ची या महिला की जांघों को गलत तरीके से पकड़ा जाता है और संबंध नहीं भी बनाया जाता है, तो भी उस हरकत को अनुच्छेद 375 के तहत दुष्कर्म ही माना जाएगा।

महिलाओं के साथ उनकी मर्जी के बिना किया गया कैसा भी यौन व्यवहार बलात्कार की श्रेणी में ही आता है। याचिकाकर्ता ने निचली अदालत से मिली उम्रकैद की सजा के खिलाफ दलील दी थी कि जब संबंध ही नहीं बनाया गया तो उसे दुष्कर्म कैसे करार दिया गया।

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