गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण (SIR) के मुद्दे को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। इंडिया गठबंधन के नेता इसको लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं और इस पर रोक लगाने की मांग चुनाव आयोग से कर रहे हैं। इसको लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा है।
लखनऊ। गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण (SIR) के मुद्दे को लेकर सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। इंडिया गठबंधन के नेता इसको लेकर लगातार सवाल उठा रहे हैं और इस पर रोक लगाने की मांग चुनाव आयोग से कर रहे हैं। इसको लेकर उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि, गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण (SIR) का मुद्दा, जिसने बिहार में कांग्रेस, राजद, सपा समेत पूरे विपक्ष को आईना दिखा दिया है।
केशव मौर्य ने सोशल मीडिया एक्स पर लिखा, कांग्रेस और उसकी धरोहर राहुल गांधी अब मुद्दाविहीन राजनीति के लिए अभिशप्त हो चुके हैं। मोहब्बत की दुकान दीवालिया हो चुकी है। संविधान को माथे पर रखकर दिखाने से कुछ हासिल नहीं हुआ, क्योंकि हर भारतीय के मन में संविधान के प्रति स्वाभाविक और गहरी आस्था है। गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण (SIR) का मुद्दा, जिसने बिहार में कांग्रेस, राजद, सपा समेत पूरे विपक्ष को आईना दिखा दिया और इस पर भी ये सभी दल सबक लेने को तैयार नहीं दिखते मानो राहु-केतु इनके कपार पर निरंतर मंडरा रहे हैं।
कांग्रेस और उसकी धरोहर श्री राहुल गांधी अब मुद्दाविहीन राजनीति के लिए अभिशप्त हो चुके हैं। मोहब्बत की दुकान दीवालिया हो चुकी है। संविधान को माथे पर रखकर दिखाने से कुछ हासिल नहीं हुआ, क्योंकि हर भारतीय के मन में संविधान के प्रति स्वाभाविक और गहरी आस्था है। गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण…
— Keshav Prasad Maurya (@kpmaurya1) November 22, 2025
बता दें कि, देश के कई राज्यों में इन दिनों गहन मतदाता पुनर्निरीक्षण (SIR) चल रहा है। विपक्ष के नेताओं की तरफ से इसको लेकर चुनाव आयोग और भाजपा सरकार को घेरा जा रहा है। उनका कहना है कि, SIR के जरिए भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर बड़ा खेल कर रहे हैं।
ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखा था पत्र
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मुख्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा कि, अब, मैं आपको यह लिखने के लिए बाध्य हूं क्योंकि चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) से जुड़ी स्थिति बेहद चिंताजनक स्थिति में पहुंच गई है। जिस तरह से यह प्रक्रिया अधिकारियों और नागरिकों पर थोपी जा रही है, वह न केवल अनियोजित और अराजक है, बल्कि खतरनाक भी है। बुनियादी तैयारी, पर्याप्त योजना या स्पष्ट संचार के अभाव ने पहले दिन से ही इस प्रक्रिया को पंगु बना दिया है। प्रशिक्षण में गंभीर कमियां, अनिवार्य दस्तावेज़ीकरण पर स्पष्टता का अभाव और अपनी आजीविका के बीच स्वयंसेवकों से मिलने की लगभग असंभवता ने इस प्रक्रिया को संरचनात्मक रूप से अस्थिर बना दिया है।