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खाकी तेरे रंग अनेक : मानवता की सेवा बना यूपी पुलिस के सब इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह के जीवन का संकल्प, पत्नी व बेटी के साथ किया अंगदान

यूपी पुलिस में कार्यरत सब इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह ने मानवता की सेवा का ऐसा कदम उठाया है। जिसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। इन्होंने अपनी पत्नी सरिता सिंह को साथ लेकर किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अंगदान किया है। श्री सिंह का मानना है कि मृत्यु के पश्चात उनका शरीर किसी के काम आये यह उनके लिये सौभाग्य की बात है। यहीं धारणा उनकी पत्नी व बेटी की भी है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। यूपी पुलिस में कार्यरत सब इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह ने मानवता की सेवा का ऐसा कदम उठाया है। जिसकी हर तरफ  प्रशंसा हो रही है। इन्होंने अपनी पत्नी सरिता सिंह को साथ लेकर किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में अंगदान किया है। श्री सिंह का मानना है कि मृत्यु के पश्चात उनका शरीर किसी के काम आये यह उनके लिये सौभाग्य की बात है। यहीं धारणा उनकी पत्नी व बेटी की भी है।

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आपको बता दें कि नौकरी के बाद मिले समय में विश्राम या मनोरंजन के बजाए निकल पड़ते हैं बेसहारा, मजलूमों गरीबों, जरुरत मंदो की मदद करने अपनी बेटी पत्नी को साथ लेकर मोहल्ले वालों और परिचितों से कुछ सामान, धन, पुराने नए कपड़े लेकर गरीबों में बांट देते हैं। श्री सिंह ने बताया कि उन्हें इस कार्य से बड़ा सुकून मिलता है।

जितेन्द्र सिंह कहते हैं कि इस सामाजिक कार्य के लिये भेदभाव नहीं देखते। यह सभी कार्य वह अपने खुद के वेतन को बचाकर करते हैं। पुलिस महानिदेशक कार्यालय में तैनात जितेन्द्र सिंह की सब इंस्पेक्टर जितेन्द्र सिंह और उनकी पत्नी सरिता ने देहदान का फैसला लिया। इसके लिये बकायदा उन्होने कानूनी प्रक्रिया भी पूरी की, जिससे बाद में कोई विवाद उत्पन न हो।

वर्ष 1991 में यूपी पुलिस की नौकरी शुरु करने वाले जितेन्द्र सिंह मूलरुप से यूपी के गोण्डा जिले के थाना उमरीबेगमगंज, सेमरीकलां गांव निवासी हैं। मौजूदा समय में यह डीजीपी पीआरओ सेल में सब इंस्पेक्टर के पद पर तैनात हैं। जितेंद्र सिंह का पश्चिम बंगाल कलकत्ता में जन्म हुआ। उनके पिता ईश्वर सिंह वहीं पर नौकरी करते थे। उनके साथ कक्षा- 8 तक शिक्षा पूरी करने के बाद आगे की शिक्षा अपने गांव सेमरी कला जिला गोंडा आकर बीएससी की पढ़ाई पूरी की।

मिलने वालों को करते रहते हैं जागरुक

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परिवार को साथ लेकर जब भी किसी कार्यक्रम में जाते है तो रक्तदान, देहदान, नेत्रदान व अंगदान के लिये लोगों को जागरुक भी करते रहते है। इसे कारण परिवार में भी इनकी अलग साख है। इसके साथ ही मानसिक विक्षिप्त, दिव्यांग महिलाओं-युवतियों के लिये उनके संस्थाओं में जाकर राशन, कपड़ा व जरूरत का सामान वितरित करते हैं। वह भी अपने वेतन के रुपयों से रास्ते में दिखे भूखे जानवरों को भी खाना खिलाने से परिवार पीछे नहीं हटते।

जब भी समय मिलता है वह समाज के प्रति सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। ऐसा हम नहीं कह रहे बल्कि उनकी कार्यप्रणाली खुद बता रही है। पत्नी सरिता, बेटी अंजली सिंह ने नेत्रदान का संकल्प लिया। हर महीने परिवार के साथ बिना हो हल्ले के रक्तदान भी किया करते है। विभाग को जब इस सामाजिक कार्य की जानकारी हुयी, जो बीते कई वर्षों से हो रही थी। इससे सब हतप्रभ रह गये। जितेंद्र सिंह ने कहा अभी मुझे लोगों की गरीबी देख कर बहुत दुख होता है, इतना मेरे पास पैसा नहीं है कि बहुत से गरीब लड़कियों की शादी या बुजुर्ग की सेवा करा सकें फिर भी मेरी तनख्वाह से घर के खर्च के बाद जो बचता है। उससे कुछ न कुछ किया करता हूं, यह सब कार्य करने में मेरी पत्नी यह मेरी बेटी का पूरा सहयोग रहता है।

अंगदान – नेत्रदान का भरा संकल्प पत्र

अंगदान के लिये जितेन्द्र ने अपनी पत्नी सरिता के साथ कानूनी प्रक्रिया भी पूरी की। इसके लिये उन्होंने संकल्प पत्र भी भरा। वहीं बेटी अंजली सिंह ने भी अपने माता-पिता का साथ देते हुये नेत्रदान का पत्र भरा। तीनों लोग आये दिन रक्तदान भी करते रहते हैं ।

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