पश्चिम बंगाल सरकार ने 'खेला होबे' नारे पर एक सरकारी योजना शुरू कर दी है। इस योजना का नाम खेला होवे ही रखा गया है। ये सरकारी योजना खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है।
नई दिल्ली: किसे पता था कि एक चुनावी नारा इतना इतना कारगर साबित हो जाएगा कि नवनिर्वाचित सरकार उस नारे पर अपनी एक योजना का नाम रख देगी। पश्चिम बंगाल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान एक नारा खूब सुनाई दिया था। नारा था ‘खेला होबे’। विधानसभा चुनाव तृणमूल कांग्रेस ने जीता और ममता बनर्जी की सरकार भी बन गई। सफलता पाने के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने ‘खेला होबे’ नारे पर एक सरकारी योजना शुरू कर दी है। इस योजना का नाम ‘खेला होबे’ ही रखा गया है। ये सरकारी योजना खेलों को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई है। इसका आदेश भी सरकार की ओर से जारी कर दिया गया है। मीडिया रिर्पोट के अनुसार, ‘खेला होबे’ योजना के तहत राज्य सरकार खेल विभाग क्लब को फुटबॉल बांटेगा। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि ‘खेला होबे’ नारे से तृणमूल कांग्रेस को अपार सफलता मिली है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए ममता बनर्जी की सरकार ने खेल से जुड़ी इस योजना का नाम खेला होवे नारे पर रखा है।
भारत में पश्चिम बंगाल को फुटबॉल खेल से बहुत ख्यति मिली है। सबसे ज्यादा फुटबॉल खिलाड़ी भी पश्चिम बंगाल से ही सामने आए हैं। भारत के फुटबॉल जगत के मशहूर नाम हैं, इस्ट बंगाल और मोहन बागान। ये दोनों पश्चिम बंगाल से ही संबंध रखते हैं।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो अगले महीने यानी जुलाई से ये योजना काम करना शुरू कर देगी और खिलाड़ियों को फुटबॉल बांटी जाएगी।. इसके साथ ही सरकार की ओर से ये भी कहा गया है कि फुटबॉल के किस क्लब को कितनी फुटबॉल बांटी जाएंगी और उनकी तारीख क्या होगी, ये बाद में बता दिया जाएगा।