इंडो-नेपाल बार्डर से सटे सोनौली नगर पंचायत में धौरहरा में वर्ष 2017-18 में 81.70 लाख रुपए की लागत से मिनी स्टेडियम बना है, लेकिन यहां खिलाड़ियों को सुविधाएं मयस्सर नहीं है। परिसर में पेयजल का भी इंतजाम नहीं है। खिलाड़ी अपनी प्यास बुलाने के लिए स्टेडियम के बाहर अस्पताल व स्कूल के हैंडपम्प पर जाने को विवश हैं।
महराजगंज: इंडो-नेपाल बार्डर से सटे सोनौली नगर पंचायत में धौरहरा में वर्ष 2017-18 में 81.70 लाख रुपए की लागत से मिनी स्टेडियम बना है, लेकिन यहां खिलाड़ियों को सुविधाएं मयस्सर नहीं है। परिसर में पेयजल का भी इंतजाम नहीं है। खिलाड़ी अपनी प्यास बुलाने के लिए स्टेडियम के बाहर अस्पताल व स्कूल के हैंडपम्प पर जाने को विवश हैं।
स्टेडियम के देखभाल के लिए दो कर्मचारियों की तैनाती है। जिनके मुताबिक मिनी स्टेडियम में आए खिलाड़ियों को खेल सामग्री मुहैया कराया जाता है। पर, खिलाड़ियों का कहना है कि क्रिकेट का बाल स्टेडियम से नहीं मिलता। बॉलीबाल व फुटबाल है, लेकिन उसमें हवा नहीं है। खेल के दौरान अगर बॉल बाउंड्री के बाहर खेत में चला जाए तो किसानों के आक्रोश का सामना करना पड़ता है। स्टेडियम में लाइट का भी पुख्ता प्रबंध नहीं है। राजू, अनिल, रमेश आदि युवाओं का कहना है कि स्टेडियम के नाम पर केवल भवन व चहारदीवारी है। खेल सामग्री का अभाव है। जिनके पास खेलने का संसाधन नहीं है, वह स्टेडियम में आते हैं। कुछ देर बैठने के वापस चले जाते हैं।
पीआरडी जवान के भरोसे व्यवस्था
युवा कल्याण विभाग के अधीन इस मिनी स्टेडियम को बार्डर डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत बनाया गया है। पहले यहां व्यायाम प्रशिक्षक की तैनाती थी, लेकिन खेलो इंडिया के तहत आनंदनगर में बनाए गए मिनी स्टेडियम में व्यायाम प्रशिक्षक को संबद्ध कर दिया गया है। इस समय केवल पीआरडी जवान के भरोसे मिनी स्टेडियम की व्यवस्था है।
विभाग का दावा स्टेडियम में सभी खेल सामग्री मौजूद
युवा कल्याण विभाग के मुताबिक सोनौली के मिनी स्टेडियम में बालीबाल का पोल, नेट व बाल है। फुटबाल भी है। इसके अलावा कबड्डी, गोला व चक्रक्षेपण के अलावा वेट लिफ्टिंग के भी संसाधन है। नजदीक के विद्यालय में कई बार बच्चों को स्टेडियम में खेलने के लिए कहा जाता है लेकिन बच्चे आते ही नहीं।
बृजेश यादव-व्यायाम प्रशिक्षक ने बताया कि मिनी स्टेडियम में पेयजल इंतजाम के लिए कई बार नगर पंचायत से अनुरोध किया जा चुका है। मिनी स्टेडियम में जो युवा या बच्चे खेलने के उद्देश्य से आते हैं उनको खेल सामग्री उपलब्ध कराई जाती है.