Mahashivratri 2022: शिव भक्त महाशिवरात्रि पर्व पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं। कुछ ही घंटे बाद महाशिवरात्रि का पावन त्योहार शुरू होने में बचे हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसके साथ ही इसी दिन भगवान भोलेनाथ का विवाह (Marriage) माता पार्वती के साथ हुआ था।
Mahashivratri 2022: शिव भक्त महाशिवरात्रि पर्व पूरी श्रद्धा भक्ति के साथ मनाते हैं। कुछ ही घंटे बाद महाशिवरात्रि का पावन त्योहार शुरू होने में बचे हैं। हिन्दू धर्म में मान्यता है कि इस दिन भगवान शिव (Lord Shiva) लिंग रूप में प्रकट हुए थे। इसके साथ ही इसी दिन भगवान भोलेनाथ का विवाह (Marriage) माता पार्वती के साथ हुआ था।
चारों पहर की पूजा का मुहूर्त?
महाशिवरात्रि पर भगवान शिव की चार पहर की पूजान का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन शिवजी को चारों पहर पूजने से मन की सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।महाशिवरात्रि पर पहले पहर की पूजा मंगलवार को शाम 6.21 से 9.27 तक होगी। फिर रात को 9.27 से 12.33 तक दूसरे पहर की पूजा होगी। इसके बाद बुधवार को रात 12.33 से 3.39 तक तीसरे पहर की पूजा होगा। अंत में रात 3.39 से सुबह 6.45 तक चौथे पहर का पूजन होगा।
चारो पहर की कैसे करें पूजा?
महाशिवरात्रि पर अगर चार पहर पूजन करते हैं तो पहले पहर में दूध, दूसरे में दही, तीसरे में घी और चौथे में शहद से पूजन करें। हर पहर में जल का प्रयोग जरूर करना चाहिए। महाशिवरात्रि पर तमाम समस्याओं से मुक्ति पाने के प्रयोग भी होते हैं। इस दिन सूर्य को अर्घ्य दें। इसके अलावा शिवजी को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार पूजन करके शिव जी के मंत्रों का जाप करें। रात्रि में शिव मंत्रों के अलावा रुद्राष्टक या शिव स्तुति का पाठ भी कर सकते हैं।
शिवरात्रि पर कौन सा विशेष प्रयोग करें?
शिवरात्रि पर मध्य रात्रि की पूजा विशेष फलदायी होती है। इसके लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। उनके समक्ष घी का एक दीपक जलाएं। इसके बाद उन्हें पुष्प अर्पित करें, भोग लगाएं। तत्पश्चात उनके मंत्रों का जप करें। मंत्र जप के बाद अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति की प्रार्थना करें।