भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे। महावीर जयंती जैनियों का प्रमुख पर्व है। हर साल चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन जैन धर्म के अनुयायी महावीर जयंती मनाते हैं।
Mahavir Jayanti 2025 : भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे। महावीर जयंती जैनियों का प्रमुख पर्व है। हर साल चैत्र शुक्ल त्रयोदशी के दिन जैन धर्म के अनुयायी महावीर जयंती मनाते हैं। इस दिन जैन धर्म के 24वें और अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था। महावीर जयंती को पर्व की तरह मनाया जाता है। जयंती पर्व पर भगवान महाबीर का सोने और चांदी के कलशों से अभिषेक होता है। जैन मंदिरों में विशेष पूजा होती है। जानिए इस साल महावीर जयंती कब है और भगवान महावीर के बताए 5 मूल सिद्धांत क्या हैं।
पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल त्रयोदशी तिथि 9 अप्रैल बुधवार को रात 10 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और 10 अप्रैल की देर रात 1 बजकर 1 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार 10 अप्रैल को भगवान महावीर जयंती मनाई जाएगी।
भगवान महावीर जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर थे। उन्हें 12 वर्षो की कठिन तपस्या के बाद केवलज्ञान प्राप्त हुआ।
जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर-जयंती तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है। तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म 599 ईसा पूर्व बिहार के कुंडलपुर के राजघराने में हुआ था। इनके माता का नाम त्रिशला और पिता सिद्धार्थ थे।श्वेतांबर परम्परा के अनुसार इनका विवाह यशोदा नामक सुकन्या के साथ सम्पन्न हुआ था और कालांतर में प्रियदर्शिनी नाम की कन्या उत्पन्न हुई जिसका युवा होने पर राजकुमार जमाली के साथ विवाह हुआ।
भगवान महावीर ने जैन धर्म के प्रचार एवं प्रसार के काम किए हैं। उन्होंने दुनिया को पंचशील सिद्धांत दिया। पंचशील सिद्धांत के पांच प्रमुख बातें सत्य, अहिंसा, अचौर्य (अस्तेय) यानी चोरी नहीं करना, अपरिग्रह यानी विषय एवं वस्तुओं के प्रति आसक्त न हों और ब्रह्मचर्य है।