सनातन धर्म स्नान और दान की विशेष परंपरा है। स्नान के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौराणिक ग्रंथों में भगवान सूर्य को जल अर्पित करने और 'ऊँ आदित्याय नमः: मंत्र या ऊँ घृणि सूर्याय नमः' मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व बताया गया है।
Makar Sankranti Snan : सनातन धर्म स्नान और दान की विशेष परंपरा है। स्नान के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की परंपरा है। पौराणिक ग्रंथों में भगवान सूर्य को जल अर्पित करने और ‘ऊँ आदित्याय नमः: मंत्र या ऊँ घृणि सूर्याय नमः’ मंत्र का जाप करने का विशेष महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। ऐसी मान्यता है कि मकर संक्रांति पर पवित्र नदी में स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और अक्षय पुण्यों का फल मिलता है। साथ ही मान्यता है कि गंगा स्नान करने से पिछले जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और देवी देवता भी प्रसन्न होते हैं।
इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी दिन सोमवार को है। मकर संक्रांति तब मनाते हैं, जब ग्रहों के राजा सूर्य देव शनि महाराज की राशि मकर में गोचर करते हैं। इस दिन सूर्य भगवान उत्तरायण होते है। मकर संक्रांति को सूर्य उत्तरायण का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। उत्तरायण यानी सूर्य देवता का उत्तर दिशा की ओर गमन। यही कारण है कि मकर संक्रांति के पर्व को उत्तरायण पर्व के नाम से भी जाना जाता है। उत्तरायण को शास्त्रों में बेहद शुभ माना गया है।
इसे देवताओं का समय कहा जाता है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तो दिन बड़ा होने लगता है और रात छोटी होने लगती है। सूर्य उत्तरायण के शुभ अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान और दान को बहुत फलदायी माना जाता है। जीवन में सूर्य की तरह प्रकाश का संचार होता रहे इसलिए स्नान और दान की परंपरा का पालन मकर संक्रांति के दिन किया जाता है।