भैंस (Buffalo)की एक प्रजाति (species) को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR)ने स्वदेशी नस्ल के तौर पर मान्यता दी है। खबरों के अनुसार, भैंसों की यह प्रजाति ओडिशा में कोरापुट जिले और पड़ोस के मल्कानगिरि और नबरंगपुर इलाकों में पाई जाती है।
भुवनेश्वर: भैंस (Buffalo)की एक प्रजाति (species) को राष्ट्रीय पशु आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो (NBAGR)ने स्वदेशी नस्ल के तौर पर मान्यता दी है। खबरों के अनुसार, भैंसों की यह प्रजाति ओडिशा में कोरापुट जिले और पड़ोस के मल्कानगिरि और नबरंगपुर इलाकों में पाई जाती है। इस प्रजाति का नाम प्रजाति ‘मांडा’ (Manda Buffalo) है। मांडा भैंस की पहचान सबसे पहले मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास (FARD) विभाग ने के सहयोग से उड़ीसा कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ने की थी।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक शाखा, एनबीएजीआर देश में मवेशियों और मुर्गियों के नए पहचाने गए जर्मप्लाज्म (जीवित आनुवंशिक संसाधन) के पंजीकरण के लिए केंद्रीय एजेंसी है। केंद्रीय एजेंसी ने कहा कि नयी शामिल प्रजाति के बाद देश में स्वदेशी नस्लों की संख्या 202 हो गई है जिसमें 19 प्रकार की भैंसें शामिल हैं।
आईसीएआर से संबंधित एक पोर्टल बफेलोपीडिया के अनुसार, मांडा भैंसे भूरे या मटमैले सफेद रंग की होती हैं, जिनके बाल तांबे के रंग के होते हैं। उनके सींग चौड़े होते हैं जो पीछे की ओर घूम कर आधा घेरा बनाते हैं।
पोर्टल पर बताया गया है कि ये भैंस मध्यम दूध देने वाली होती हैं, और 290 दिनों की स्तनपान अवधि में लगभग 700 लीटर का उत्पादन करती हैं। मादा मांडा भैंसों का कुछ स्थानों पर कृषि कार्यों में भी उपयोग किया जाता है।