सनातन धर्म में जगतजननी मां दुर्गा की पूजा उपासना का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है।
Masik Durgashtami 2025 : सनातन धर्म में जगतजननी मां दुर्गा की पूजा उपासना का विशेष महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां दुर्गा की विधि विधान से पूजा अर्चना करने से जीवन के समस्त कष्टों का नाश होता है। इसी प्रकार हिंदू पंचांग के अनुसार, हर माह शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को मासिक दुर्गाष्टमी मनाई जाती है। मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चना और व्रत किया जाता है। मां दुर्गा के उपासकों से लिए मासिक दुर्गाष्टमी बहुत महत्व रखती है। फाल्गुन माह की दुर्गाष्टमी कल है। ऐसे में आइए जानते हैं इसका शुभ मुहूर्त, पूजा नियम से लेकर व्रत पारण तक के बारे में।
हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 मार्च यानी आज गुरुवार को सुबह 10 बजकर 6 मिनट पर हो चुकी है। वहीं इस तिथि का समापन कल शुक्रवार 7 मार्च को सुबह 9 बजकर 18 मिनट पर हो जाएगा। हिंदू धर्म में उदया तिथि की मान्यता होती है। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, इस फाल्गुन माह की मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत कल रखा जाएगा।
मां दुर्गा को चढ़ाएं श्रृंगार का समान
मासिक दुर्गाष्टमी के दिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना करने के लिए मां को फूल, चंदन, रोली, अक्षत, सिंदूर, चूड़ी, कुमकुम और श्रृंगार का समान भी चढ़ाना चाहिए।
देवी कवच का पाठ
दुर्गा सप्तशती या देवी कवच का पाठ करना चाहिए। मां दुर्गा के मंत्र जैसे ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे का 108 बार जाप अवश्य करना चाहिए।
हवन
दुर्गाष्टमी पर हवन करना चाहिए। अंत में मां दुर्गा की आरती करनी चाहिए। फिर प्रसाद का वितरण करना चाहिए। पूरे दिन व्रत रखना चाहिए। शाम को फलाहार करना चाहिए।