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मायावती ने खोया जनाधार बढ़ाने के लिए भरी हुंकार, बोलीं-बसपा की मूल और असली शक्ति है बामसेफ

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने पार्टी के खोए जनाधार को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश स्टेट की जिला स्तरीय 'पिछड़ा वर्ग समाज भाईचारा संगठन' की शनिवार को मासिक बैठक खुद ली। उन्होंने ओबीसी समाज को बीएसपी में जोड़ने के लिये पिछले कुछ महीने दिए गए दिशा-निर्देश की समीक्षा की।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती (Mayawati) ने पार्टी के खोए जनाधार को बढ़ाने के लिए उत्तर प्रदेश स्टेट की जिला स्तरीय ‘पिछड़ा वर्ग समाज भाईचारा संगठन’ की शनिवार को मासिक बैठक खुद ली। उन्होंने ओबीसी समाज को बीएसपी में जोड़ने के लिये पिछले कुछ महीने दिए गए दिशा-निर्देश की समीक्षा की। साथ ही जिलावार प्रगति रिपोर्ट ली। चुनाव आयोग के तरफ से उत्तर प्रदेश सहित देश के 12 राज्यों व केन्द्र शासित प्रदेशों में किये जा रहे मतदाता सूची के गहन पुनरीक्षण (SIR) के महत्व के मद्देनजर उस कार्य को चुनाव आयोग की गाइडलाइन्स के हिसाब से तत्परता व समझदारी से पूरा करने व कराने का निर्देश दिया।

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उन्होंने कहा कि बसपा सर्वसमाज के ग़रीबों, मज़दूरों, छोटे व्यापारियों व अन्य मेहनतकश लोगों तथा बहुजन समाज के अन्तर्गत शोषित पीड़ित व वंचित दलित, आदिवासी, अन्य पिछड़े वर्ग व मुस्लिम एवं अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक बहुजनों के हित व कल्याण को समर्पित अम्बेडकरवादी पार्टी है। डा. भीमराव अम्बेडकर के मानवतावादी व कल्याणकारी संविधान को यहां अपने वोटों के लोकतांत्रिक अधिकार की ताकत के माध्यम से सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करके गुलामी की जिन्दगी से निकलकर अपने पैरों पर खड़े होने के लिये समर्पित व अनवरत संघर्षरत है, जिस क्रम में हर व्यक्ति के वोट की अति महत्वपूर्ण भूमिका है।

इसीलिये चुनाव में वोट डालने की अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी को पूरा करके अपना लक्ष्य प्राप्त करने के लिये सभी योग्य लोगों को मतदाता सूची में अपना नाम व वोटर कार्ड बनवाना बहुत ज़रूरी है। इसका उद्देश्य अन्य पिछड़े वर्ग को पूरी तरह से बसपा से जोड़ कर पार्टी के जनाधार को आगे बढ़ाने के कार्य में पार्टी की गंभीरता में कोई ढील देने नहीं आने देना है। ओबीसी समाज ‘बहुजन समाज का ख़ास महत्वपूर्ण अंग है और इनका हित बसपा में ही निहित व सुरक्षित भी है, यह जग जाहिर है और जैसाकि बसपा की यूपी में चार बार रही सरकारों की नीति व कार्यकलापों आदि से भी साबित है जब अन्य पिछड़े वर्ग की हर जातियों को आत्म-सम्मान व रोजी-रोजगार के साथ उनका जीना सुनिश्चित करने का ईमानदार प्रयास किया गया, जबकि दूसरी पार्टियां केवल उनके वोट के स्वार्थ की खातिर कोई ठोस काम नहीं करती है। बल्कि अधिकाशः हवा-हवाई व जुमलेबाजी ही करती रहती हैं। ओबीसी समाज को इनका संवैधानिक हक तथा सरकारी नौकरी व शिक्षा में इनके आरक्षण को लेकर कांग्रेस, सपा व भाजपा आदि इन पार्टियों का रवैया हमेशा संकीर्ण, जातिवादी व द्वेषपूर्ण रहा है।

मायावती जी ने कहा कि ओबीसी समाज की विभिन्न जातियों के टूटे व बिखरे होने तथा इनमें से कुछ के अलग से पार्टी व संगठन आदि बना लेने के कारण इनकी एकता व एकजुटता प्रभावित है और जिसका लाभ फिर जातिवादी पार्टियां खासकर चुनाव में अक्सर उठाती रहती है, जबकि बसपा जाति के आधार पर सदियों से तोड़े, पछाड़े व सताये जा रहे इन बहुजन लोगों को ‘बहुजन समाज’ की एकता में जोड़कर इनका हित, कल्याण तथा शोषण, अन्याय व अत्याचार आदि से मुक्ति के लिये संघर्षरत है, जो कि देश के लोकतंत्र की सुरक्षा तथा देशहित में भी अति-ज़रूरी है। ओबीसी समाज बी.एस.पी. के बैनर तले सत्ता की मास्टर चाबी प्राप्त करने के लिये जितनी जल्दी संगठित होकर मजबूती से कार्य करेगा उनके अच्छे दिन उतने ही जल्दी ज़रूर आयेंगे ।

साथ ही इस बैठक में उन्होंने बामसेफ के बारे में आये दिन किस्म-किस्म की फैलाई जा भ्रान्तियों को दूर करने के उद्देश्य से यह भी बताया कि बामसेफ राजनैतिक संगठन या पार्टी नहीं है। बल्कि यह पढ़े-लिखे कर्मचारियों का एक सामाजिक संगठन है, जिनका प्रमुख कार्य अपनी सुविधानुसार बहुजन समाज के लोगों में सामाजिक चेतना पैदा करने का है। सबसे पहले इस संगठन (बामसेफ) की मान्यवर कांशीराम ने स्थापना की थी जो रजिस्टर नहीं है। और यह BSP परिवार के लोगों से जुड़ा है। और यही इनकी असली बामसेफ भी है।

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इस संगठन के लोग बीच-बीच में मुझसे व BSP परिवार के लोगों से मिलकर अपनी इस जिम्मेवारी को निभाते रहते है। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि बिना रजिस्टर वाली बामसेफ ही मान्यवर कांशीराम की मूल व असली बामसेफ है और रजिस्टर वाली बामसेफ स्वार्थी व अवसरवादी लोगों की है जिनसे मान्यवर कांशीराम ने अपने जीते-जी हमेशा सतर्क रहने के लिए भी सलाह दी थी ।

इस बैठक में इन्होंने यह भी बताया कि यूपी में अपरकास्ट समाज राजनैतिक तौर पर काफी जागरूक समाज हो चुका है इनको BSP में जोड़ने के लिए अलग से भाईचारा संगठन बनाने की जरूरत महसूस नहीं की गई है।

 

 

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