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मायावती के ट्वीट से राजनीतिक दलों में मची खलबली, क्या आजम खान के लिए बसपा है बेहतर विकल्प?

अखिलेश यादव से सामने आ रही आजम खान की नराजगी की खबरों के बीच प्रदेश की अन्य विपक्षी पार्टियां इस मुस्लिम नेता पर डोरे डाले हुई हैं। शिवपाल यादव के जेल में जा कर के मिलने के बाद कांग्रेस नेता अचार्य प्रमोद कृषणन भी आजम से मिलने चले गये।

By प्रिन्स राज 
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लखनऊ। अखिलेश यादव से सामने आ रही आजम खान की नराजगी की खबरों के बीच प्रदेश की अन्य विपक्षी पार्टियां इस मुस्लिम नेता पर डोरे डाले हुई हैं। शिवपाल यादव के जेल में जा कर के मिलने के बाद कांग्रेस नेता अचार्य प्रमोद कृषणन भी आजम से मिलने चले गये। इन दोनों नेताओं के बाद बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती के द्वारा आजम के पक्ष में किया गया ट्वीट इस बात की ओर इशारा कर रहा है कि क्या प्रदेश के बड़े चेहरे व समाजवादी नेता के पास बसपा भी एक बड़ा विकल्प हो सकती है।

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जा‍हिर है यूपी की सियासत में मुस्लिम वोटों पर दावा जताने वाली पार्टियों में अचानक आजम खान की डिमांड बढ़ गई है। गुरुवार को बहुजन समाज पार्टी की अध्‍यक्ष मायावती ने अपने ट्वीट में आजम के बहाने बीजेपी पर मुस्लिमों को टारगेट करने का आरोप लगाकर एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश की। बता दें कि यूपी विधानसभा 2022 के चुनाव में मात्र एक सीट पर सिमट जाने वाली बसपा पार्टी में नई जान फूंकने की तैयारी कर रही है।

इसके लिए उसका ध्यान मुस्लिम वोटरों पर है। लोकसभा के चुनाव से पहले मुस्लिमों को अपने पक्ष में करने के लिए बसपा आजम खान को लेकर काफी चिंतीत नजर आ रही है। अब आजम के बहाने मायावती ने एक बार फिर संदेश देने की कोशिश की है। उन्‍होंने अपने ट्वीट में लिखा कि-‘यूपी और अन्य बीजेपी शासित राज्यों में, कांग्रेस की ही तरह, जिस प्रकार से टारगेट करके गरीबों, दलितों, आदिवासियों और मुस्लिमों को जुल्म-ज्यादती और भय आदि का शिकार बनाकर उन्हें परेशान किया जा रहा है वो अति-दुःखद है। जबकि दूसरों के मामलों में इनकी कृपादृष्टि जारी है।’

इतना ही नहीं मायावती बार-बार समाजवादी पार्टी और बीजेपी के बीच मिलीभगत के आरोप लगाती हैं। इसके साथ ही वह संदेश देने की कोशिश कर रही हैं कि बीजेपी को हराने के लिए सपा के पक्ष में मुस्लिम समाज के एकतरफा वोटिंग करने से ही नुकसान हुआ है। चुनाव नतीजे आने के तुरंत बाद उन्‍होंने आरोप लगाया था कि बीजेपी को हराने के लिए सपा के पक्ष में मुस्लिमों की एकतरफा वोटिंग से हिंदू वोटों का ध्रुवीकरण हुआ जिसका सीधा फायदा बीजेपी को मिला।

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