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मोदी सरकार ‘किम जोंग उन’ की तरह, कोई खिलाफ में बोलेगा तो सजा मिलेगी : राकेश टिकैत

देश में लागू कृषि कानूनों का किसान संगठन लगातार खुलकर विरोध कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत इस कड़ी में लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने कई मौकों पर यह साफ कर दिया है कि किसान आंदोलन लंबा चलता रहेगा। अगर करोना काल के दौरान मोदी सरकार इस तरह के किसान विरोधी कानून बना सकती है तो इन्हें वापस भी ले सकती है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। देश में लागू कृषि कानूनों का किसान संगठन लगातार खुलकर विरोध कर रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत इस कड़ी में लगातार मोदी सरकार पर हमलावर हैं। उन्होंने कई मौकों पर यह साफ कर दिया है कि किसान आंदोलन लंबा चलता रहेगा। अगर करोना काल के दौरान मोदी सरकार इस तरह के किसान विरोधी कानून बना सकती है तो इन्हें वापस भी ले सकती है।

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अब एक बार फिर किसान नेता राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी  दी है। उन्होंने कहा  कि आज देश की सत्ता में बैठी सरकार अपने खिलाफ एक शब्द सुनना बर्दाश्त नहीं कर पा रही है, लेकिन यही सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस लेगी और एमएसपी पर कानून भी बनाएगी।

बता दें कि राकेश टिकैत ने ट्विटर के जरिये मोदी सरकार के कार्यकाल में बढ़ रही महंगाई का मुद्दा भी उठाया है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि महंगाई इतनी बढ़ी है। अगर किसी ने सरकार के खिलाफ आवाज उठा दी तो उसको सजा मिलेगी। राजा के खिलाफ़ बोलना मतलब सजा का हकदार है वो। राजा हैं क्या ये? ये तो किम जोंग उन बन रहे हैं कि दूसरा कोई बोल ही न सके।

इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत मोदी सरकार पर तानाशाही का आरोप लगा चुके हैं। उनका कहना है कि सरकार अगर अपनी जिद पर अड़ी है तो किसान संगठन भी कम नहीं है। हम भी इन कृषि कानूनों को हटवाने के लिए लंबा आंदोलन चला सकते हैं। भले ही यह आंदोलन फिर साल 2024 तक ही क्यों ना चले। सरकार के खिलाफ शुरू की गई इस लड़ाई में किसान ही जीतेंगे।

टिकैत ने कहा कि मोदी सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानून किसानों के लिए फांसी का फंदा साबित होंगे। जब तक इन्हें रद्द नहीं किया जाता। यह आंदोलन चलता रहेगा। बता दें कि हाल ही में किसान आंदोलन के 6 महीने पूरे होने के मौके पर किसान संगठनों द्वारा इस दिन को काला दिवस के रूप में मनाया गया था। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों में इस दिन मोदी सरकार का खुलकर विरोध किया गया था।

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