भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि भारत अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाता है, तो देश की ग्रोथ धीमी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत भले 3 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी है, लेकिन इसे चीन की अर्थव्यव्स्था को पीछे छोड़ने के लिए लंबा सफर तय करना है। चीन की अर्थव्यवस्था (China's Economy) भारत से 5 गुना बड़ी है।
नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि भारत अगर सुधारात्मक कदम नहीं उठाता है, तो देश की ग्रोथ धीमी पड़ सकती है। उन्होंने कहा कि भारत भले 3 लाख करोड़ डॉलर की इकोनॉमी है, लेकिन इसे चीन की अर्थव्यव्स्था को पीछे छोड़ने के लिए लंबा सफर तय करना है। चीन की अर्थव्यवस्था (China’s Economy) भारत से 5 गुना बड़ी है।
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) स्टैंडर्ड चार्टेड बैंक (Standard Chartered Bank) के तरफ से आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत में अक्सर सुधार को लेकर राजनैतिक मतभेद शुरू हो जाते हैं जिससे देश का विकास धीमा पड़ सकता है। बकौल राजन, देश में विकास की गति को बढ़ाने के तरीके ढूंढने होंगे।
आर्थिक सुधारों का प्रयास कर रही सरकार
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा कि इस वक्त देश में आर्थिक सुधारों का प्रयास करने वाली सरकार है, लेकिन दुर्भाग्यवश इन सुधारों को लेकर व्यापक सहमति नहीं पा रही है। उन्होंने कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा कि महीनों चले आंदोलन के बाद आखिरकार सरकार को इसे वापस लेना पड़ा। गौरतलब है कि 19 नवंबर को केंद्र सरकार ने कृषि कानून वापस ले लिए थे। उन्होंने कहा कि सरकार को बैंकिंग सेक्टर में और बेहतर रिफॉर्म करने चाहिए। बकौल राजन, यह बैंकिंग क्षेत्र में सुधारों का सही समय है। उन्होंने कहा कि अभी बैंक इकोनॉमी को आगे बढ़ाने की बजाय उनके रास्ते में खड़े नजर आ रहे हैं।
कैसी रहेगी आर्थिक ग्रोथ
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा है कि वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी के 8.7 फीसदी की दर से बढ़ने का अनुमान है लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह दर इसलिए भी ज्यादा है क्योंकि इसका बेस काफी कम है। वित्त वर्ष 2021 में भारतीय अर्थव्यवस्था में 6.6 फीसदी की गिरावट देखने को मिली थी। भारत की वृद्धि दर के मीडियम टर्म में गिरकर 6 फीसदी के आसपास रहने का अनुमान है।
लोअर मिडिल क्लास की स्थिति खराब
रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने कहा है कि महामारी के दौरान अपर मिडिल क्लास ने काम बंद नहीं किया इसलिए उनकी स्थिति काफी बेहतर हुई, लेकिन लोअर मिडिल क्लास के लोगों को काफी परेशानियां उठानी पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि इस क्लास में भारी बेरोजगारी दर एक बड़ी समस्या है।