बांग्लादेश (Bangladesh) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) ने सोमवार को एक राजकीय समारोह में बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति (22nd President of Bangladesh) के रूप में शपथ ली। इस समारोह में प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने शिरकत की।
ढाका। बांग्लादेश (Bangladesh) के वरिष्ठ नेता मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammad Shahabuddin) ने सोमवार को एक राजकीय समारोह में बांग्लादेश के 22वें राष्ट्रपति (22nd President of Bangladesh) के रूप में शपथ ली। इस समारोह में प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) और उनके मंत्रिमंडल के सहयोगियों ने शिरकत की।
स्पीकर शिरीन शर्मिन चौधरी (Speaker Shireen Sharmin Chowdhary) ने ‘बंगभवन’ के ऐतिहासिक दरबार हॉल में 73 वर्षीय शहाबुद्दीन को शपथ दिलाई। प्रधानमंत्री शेख हसीना (PM Sheikh Hasina) और नए राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों के अलावा, नेताओं, उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों और वरिष्ठ असैन्य एवं सैन्य अधिकारियों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
फरवरी 2023 में चुने गए निर्विरोध राष्ट्रपति
बता दें कि शहाबुद्दीन, अब्दुल हमीद का स्थान लेंगे, जिनका कार्यकाल रविवार को समाप्त हो गया। शपथ ग्रहण समारोह के बाद शहाबुद्दीन ने राष्ट्रपति पद के शपथ दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए। उन्हें सत्तारूढ़ अवामी लीग के उम्मीदवार के रूप में इस साल फरवरी में निर्विरोध राष्ट्रपति चुना गया था। राष्ट्रपति का कार्यालय विशेष रूप से आम चुनावों के दौरान अतिरिक्त ध्यान आकर्षित करता है, क्योंकि राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है और देश का संवैधानिक संरक्षक बन जाता है।
वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करना निर्वाचन आयोग की जिम्मेदारी
चुनाव प्रणाली (Electoral System) को लेकर सत्तारूढ़ अवामी लीग और मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के बीच बढ़ते मतभेदों के बीच बांग्लादेश में दिसंबर या अगले साल जनवरी में आम चुनाव होने वाले हैं। पिछले हफ्ते मीडिया में दिए साक्षात्कार में निचली अदालत के न्यायाधीश, शहाबुद्दीन ने कहा था कि मतदाताओं को वोट डालने के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से माहौल बनाना काफी हद तक निर्वाचन आयोग (Election Commission) की जिम्मेदारी है और उन्होंने स्वतंत्र संवैधानिक निकाय से अपनी उचित भूमिका निभाने की अपेक्षा की।
उन्होंने कहा कि अपना पदभार ग्रहण करने के बाद वह राजनीतिक स्थिति की समीक्षा करेंगे और यह आकलन करेंगे कि क्या उन्हें राजनीतिक दलों के बीच विवादों को कम करने में कोई भूमिका निभाने की जरूरत है।