कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने शनिवार को लद्दाख में स्थिति के हाथ से निकल जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की आलोचना की है। उन्होने कहा कि गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि वादे पूरे करने से होगा। तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा किए गए वादों को पूरा करना ही एकमात्र समाधान है, जो कि लद्दाख के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर को भी राज्य का दर्जा देना है।
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ( Congress MP Pramod Tiwari) ने शनिवार को लद्दाख में स्थिति के हाथ से निकल जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) की आलोचना की है। उन्होने कहा कि गिरफ्तारी से समस्या का समाधान नहीं होगा, बल्कि वादे पूरे करने से होगा। तिवारी ने कहा कि प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा किए गए वादों को पूरा करना ही एकमात्र समाधान है, जो कि लद्दाख (Ladakh) के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) को भी राज्य का दर्जा देना है। केंद्र सरकार पिछले दो वर्षों से मणिपुर को संभालने में असमर्थ हैं। अब आप से लद्दाख में चीजों को हाथ से निकल जाने दे रहे हैं, जो कि सबसे संवेदनशील क्षेत्र है। इसकी सीमा चीन से लगती है। लद्दाख में दमन से मदद नहीं मिलेगी, केवल बातचीत से ही मदद मिलेगी।
बता दे कि 24 सितंबर को हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद लेह में तनाव फैल गया है। प्रशासन ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Indian Civil Defense Code) की धारा 163 के तहत अनावश्यक आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है। स्थानीय लोग भारी प्रतिबंधों के बावजूद अपने दैनिक जीवन को जारी रखने का प्रयास कर रहे हैं। 24 सितंबर को हुए हिंसक विरोध प्रदर्शन के बाद लेह में प्रतिबंध लगाए गए हैं और सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई है। विरोध के दौरान भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) के कार्यालय में भी आग लगा दी गई थी। इसके अलावा, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (National Security Act) के प्रावधानों के तहत जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक (Climate activist Sonam Wangchuk) की नज़रबंदी ने बड़े पैमाने पर विवाद खड़ा कर दिया। उन्हें जोधपुर सेंट्रल जेल ले जाया गया है।
हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की हुई थी मौत
बता दे कि हिंसक विरोध प्रदर्शन में चार लोगों की मौत हो गई थी। इसके दो दिन बाद वांगचुक को एनएसए के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया था। जलवायु कार्यकर्ता पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया है। वांगचुक भूख हड़ताल पर थे, जो हिंसा के ठीक बाद समाप्त हो गई थी। जलवायु कार्यकर्ता लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की वकालत करते रहे हैं, जो आदिवासी क्षेत्रों (tribal areas) के प्रशासन से संबंधित है और कुछ विधायी और न्यायिक शक्तियों के साथ स्वायत्त जिला परिषदों के निर्माण की वकालत करती है। अनुच्छेद 244 के अंतर्गत छठी अनुसूची वर्तमान में पूर्वोत्तर राज्यों असम, मिज़ोरम, त्रिपुरा और मेघालय पर लागू होती है। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर हुए विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई हालिया हिंसा के बाद, शनिवार को लेह में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत प्रतिबंध लागू किया गया है। आधिकारिक आदेश के अनुसार, ज़िले में पांच या अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध है। बिना पूर्व लिखित अनुमति के कोई भी जुलूस, रैली या मार्च नहीं निकाला जाएगा। इलाके में सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं।