यूपी (UP)के पीलीभीत जिले से बीजेपी ( BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने सोमवार को कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) फंड का इस्तेमाल अगले चुनाव की तैयारी के लिए नहीं बल्कि अगली पीढ़ी के भविष्य को तैयार करने के लिए किया जाना चाहिए।
नई दिल्ली। यूपी (UP)के पीलीभीत जिले से बीजेपी ( BJP) के सांसद वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने सोमवार को कहा कि मैंने हमेशा महसूस किया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना (MPLADS) फंड का इस्तेमाल अगले चुनाव की तैयारी के लिए नहीं बल्कि अगली पीढ़ी के भविष्य को तैयार करने के लिए किया जाना चाहिए।
I always felt that the MPLADS fund needs to be used not to prepare for the next election but to prepare the future of the next generation…
I decided to spend 100% of my MPLADS fund on building new rural schools and fitting existing ones with the necessary infrastructure. pic.twitter.com/nwTbQ4Ala0
— Varun Gandhi (@varungandhi80) September 12, 2022
वरुण गांधी (Varun Gandhi) ने कहा कि मैंने अपने MPLADS फंड का 100% नए ग्रामीण स्कूलों के निर्माण और मौजूदा स्कूलों को आवश्यक बुनियादी ढांचे के साथ फिट करने पर खर्च करने का फैसला किया। ये बातें वरुण गांधी ने उच्च प्राथमिक विद्यालय भड़रिया, विकास क्षेत्र बीसलपुर, पीलीभीत में जीर्णोंद्धार के बाद उद्घाटन करने के बाद कही ।
कैसे शुरू हुई थी योजना
इस योजना की शुरुआत पहली बार वर्ष 1993 में हुई थी। उस वक्त देश में स्वर्गीय प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव की सरकार थी। उस वक्त सांसदों को अपने क्षेत्र के विकास के लिए एक करोड़ रुपये सालाना जारी किए जाते थे। कुछ साल बाद इस फंड को बढ़ाकर 2 करोड़ रुपये और फिर 2011-12 में मनमोहन सिंह की सरकार में पांच करोड़ रुपये कर दिया गया।
योजना का उद्देश्य
भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्रालय के मुताबिक इस योजना का मुख्य उद्देश्य संसद सदस्यों को उनके निर्वाचन क्षेत्र में विकास से जुड़े कार्यों की सिफारिश करने में सक्षम बनाना है। सांसद इस पैसे से अपने क्षेत्र मे पीने के पानी, शिक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता के साथ सड़कों के निर्माण की सिफारिश कर सकते हैं।
सांसदों के खाते में नहीं जाता पैसा
इस योजना से उद्देश्य और दिशा-निर्देशों से स्पष्ट है कि सांसद अपने क्षेत्र के विकास से जुड़े कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं। इसका बिल्कुल यह मतलब नहीं हुआ कि यह पैसा सांसदों के खाते में जाता है और वह अपने हिसाब से खर्च करते हैं। सरकार के स्तर पर उनकी सिफारिश स्वीकार की जाती है और सरकार प्रशासनिक अमला उसे क्रियान्वित करता है।
क्या है योजना
इस योजना के तहत सांसद अपने निर्वाचन क्षेत्रों में हर साल पांच करोड़ रुपये तक के विकास कार्यों की सिफारिश कर सकते हैं। सरकार ने एक बयान में कहा है कि एमपीलैड योजना को फिर से शुरू करने और इसके क्रियान्वयन को जारी रखने से क्षेत्र में सामुदायिक विकास परियोजनाओं, कार्यों की फिर से शुरूआत होगी, जो एमपीलैड के तहत धन की कमी के कारण रुक गयी थीं। इससे स्थानीय समुदाय की आकांक्षाओं और विकास संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने और स्थायी परिसंपत्तियों के निर्माण की फिर से शुरुआत होगी।