उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में जमकर नियमों की अनदेखी हो रही है। NRHM घोटाले का आरोपी मुकेश श्रीवास्तव पर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही मेहरबान है। उसके लिए सभी नियमों को दरकिनार कर दिया जा रहा है। अब मुकेश के भाई अजय कुमार श्रीवास्तव की कारस्तानी सामने आई है, जो स्वास्थ्य विभाग में अपनी ड्यूटी छोड़कर बाकी सभी काम करता है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य विभाग में जमकर नियमों की अनदेखी हो रही है। NRHM घोटाले का आरोपी मुकेश श्रीवास्तव पर स्वास्थ्य विभाग पहले से ही मेहरबान है। उसके लिए सभी नियमों को दरकिनार कर दिया जा रहा है। अब मुकेश के भाई अजय कुमार श्रीवास्तव की कारस्तानी सामने आई है, जो स्वास्थ्य विभाग में अपनी ड्यूटी छोड़कर बाकी सभी काम करता है। दरअसल, अजय कुमार श्रीवास्तव स्वास्थ्य विभाग में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत है, जो एक ही मंडल में लंबे समय से तैनात रहा है।
गोंडा और बलरामपुर में तैनाती के दौरान मुकेश श्रीवास्तव के भाई अजय श्रीवास्तव ने अपनी रसूख के चलते विभाग में हर वो काम किए जो नियमों के खिलाफ थे। इसके बाद भी अपनी रसूख के चलते अजय कुमार श्रीवास्तव लगातार बचता गया। अब पर्दाफाश न्यूज के हाथ में कनिष्ठ सहायक अजय कुमार श्रीवास्तव का काला चिठ्ठा हाथ लगा है, जो बताता है कि, अजय अपने भाई मुकेश के साथ मिलकर कैसे स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का भ्रष्टाचार करता रहा। अजय श्रीवास्तव पर वित्तीय अनियमित्ता, भ्रष्टाचार, अनुशासनहीनता समेत कई अन्य गंभीर आरोप लगे हैं।
कार्यालय निदेशक (प्रशासन), चिकित्सा एंव स्वास्थ्य सेवाएं उत्तर प्रदेश की 23 जुलाई 2022 की एक रिपोर्ट हाथ लगी है। इस रिपोर्ट में अजय श्रीवास्तव के खिलाफ कई संगीन आरोप लगे हैं। इसमें बताया गया कि, अजय श्रीवास्तव 34 वर्ष एक ही जनपद (बलरामपुर/देवीपाटन मण्डल) में तैनात रहा। यही नहीं, पुलिस उपमहानिरीक्षक, सीबीआई/ एसटीएफ के पत्र 12.12.2014 में भी अजय श्रीवास्तव के नाम का जिक्र है, जो एन०आर०एच०एम० स्कीम संचालन के दौरान बड़ा षडयंत्र रचा।
इसमें बताया गया कि, गोंडा में एन०आर०एच०एम० स्कीम संचालन के दौरान अजय श्रीवास्तव पत्नी सविता श्रीवास्तव संचालिका मैसर्स मेडिसिन बहराइच द्वारा भी क्रय समिति के सदस्यों के साथ मिलकर षडयंत्र किया गया। इनके द्वारा दवाओं की वास्तविक आपूर्ति नहीं की गयी, लेकिन सी०एम०एस०डी० स्टाक रजिस्टर में दवा प्राप्ति की फर्जी प्रविष्टि की गयी। यही नहीं, अजय कुमार श्रीवास्तव ने दवाओं का सी०एच०सी० एवं पी०एच०सी० पर फर्जी वितरण दर्शाया गया।
यही नहीं, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, संयुक्त जिला चिकित्सालय, बलरामपुर ने अपने अर्द्धशासकीय पत्र 20.08.2018 में कनिष्ठ लिपिक अजय कुमार श्रीवास्वत को एक अक्षम, अशिष्ट, निरंकुश, स्वेच्छाकारी, अपने दायित्वों के प्रति उदासीन, निहायत भ्रष्ट कर्मचारी बताया था। साथ ही
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, संयुक्त जिला चिकित्सालय, बलरामपुर ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि, अजय कुमार श्रीवास्तव अपने काम को स्वयं नहीं करता है, जबकि दूसरे लोगों से करवाता है। अपने नियंत्रक अधिकारी के आदेशों की अवहेलना और उन्हें गुमराह करने का प्रयास करते हैं।
साथ ही अपनी रिपोर्ट में बताया था कि, अजय कुमार श्रीवास्तव के भाई/रिश्तेदार द्वारा चित्रांश इंटरप्राइजेज नाम के आउट सोर्सिंग कंपनी द्वारा शासनादेश संख्या-74/2015/1689/5-1-2015-5(75)/2015, दिनांक 31.12.2015 के विरूद्ध पिछले तीन वर्षों से चिकित्सालय हेतु संविदाकर्मी अपने मन मर्जी से पोस्ट कर रखे हैं। तैनात संविदा कर्मियों की उपस्थिति पंजिका मेरे द्वारा बार-बार मांगने पर भी दो माह से मेरे समक्ष प्रस्तुत नहीं कर रहे थे। इन संविदाकर्मियों से अवैध धन उगाही कर फर्जी बिल बना कर राजकीय धन का आहरण कर रहे थे। संविदाकर्मियों के अनुसार उनका आजतक ई०पी०एफ० जमा नहीं किया गया है। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि, ऐसे संविदाकर्मी जो कभी भी संयुक्त चिकित्सालय में नहीं देखे गये हैं, को मेसर्स अवनी परिधि एनर्जी एण्ड कम्युनिकेसंस प्रा०लि० में समायोजित करके फर्जी उपस्थिति के आधार पर वेतन निकलवाने के लिये हमें बाध्य किया।