मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली (Khalid Rashid Firangi Mahali) ने सोमवार को बताया कि मोहर्रम (Muharram) का चांद (moon) आज देखा जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मोहर्रम है। मोहर्रम महीने के दसवीं तारीख को देश में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाता है। 19 या 20 अगस्त को ही भारत में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाएगा।
लखनऊ। मुस्लिम धर्मगुरु मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली (Khalid Rashid Firangi Mahali) ने सोमवार को बताया कि मोहर्रम (Muharram) का चांद (moon) आज देखा जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के पहले महीने का नाम मोहर्रम है। मोहर्रम महीने के दसवीं तारीख को देश में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाता है। 19 या 20 अगस्त को ही भारत में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाएगा।
बता दें कि अगर 9 अगस्त को मोहर्रम का चांद दिख जाता है तो ऐसे हालात में 19 अगस्त को मोहर्रम मनाया जाएगा। 9 अगस्त को चांद नहीं देखे जाने के हालात में 30 दिनों के महीनों की रवायत पूरी की जाएगी। 20 अगस्त को पूरे देश में मोहर्रम का त्यौहार मनाया जाएगा। बता दें कि इस्लामी कैलेंडर हिजरी के अनुसार मोहर्रम साल के पहले महीने का नाम है, जो इस्लाम के सबसे चार पवित्र महीनों में से एक है।
मोहर्रम महीने के दसवें दिन को आशूरा कहते हैं। आशूरा के दिन ही भारत में मुहर्रम मनाया जाता है। मोहर्रम महीने का दसवां दिन (आशूरा) देश में सरकारी छुट्टी होता है। यानी कि इसी महीने इस्लामिक नया साल (Islamic New Year) होता है।
आशूरा (Ashura) क्या होता है ?
आशूरा एक दिन है जो मोहर्रम महीने के दसवें दिन को कहा जाता है। यह दिन इस्लामिक इतिहास का सबसे निंदनीय दिनों में से एक है। आशूरे के दिन (मोहर्रम के 10 तारीख) करबला के मैदान में हज़रत सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के नवासे हज़रत इमाम हुसैन और उनके बेटे को शहीद कर दिया गया था। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार 10 अक्टूबर 680 का घटना है।
मोहर्रम (Muharram) के 1 से लेकर 10 तारीख के बीच, अल्लाह की इबादत करना ज्यादा सवाब का माना जाता है। हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मोहर्रम महीने के 9 तारीख को रोजा रखे थे। 10 मोहर्रम 19 या 20 अगस्त 2021 को हो सकता है अगर आप कंफर्म जानना चाहते हैं। तो 9 अगस्त को इस वेबसाइट पर दोबारा विजिट कर सकते हैं, जिसमें आपको मोहर्रम के चांद का अपडेट मिल जाएगा । एक हदीस के अनुसार, मोहर्रम महीने का 9 तारीख का रोजा 30 रोजों के बराबर का सवाब मिलता है। उसके साथ गुनाहों की माफ़ी भी मिलती है। मोहर्रम में रोजा रखना फर्ज नहीं है लेकिन एक बहुत बड़ा सुन्नत है।