दिवाली त्योहार के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी पड़ती। नरक चतुर्दशी भगवान कृष्ण की राक्षस 'नरकासुर' पर जीत का पर्व है।
Narak Chaturdashi 2024 : दिवाली त्योहार के एक दिन पहले नरक चतुर्दशी पड़ती। नरक चतुर्दशी भगवान कृष्ण की राक्षस ‘नरकासुर’ पर जीत का पर्व है। पश्चिम बंगाल राज्य में, नरक चतुर्दशी को देवी काली के जन्मदिन के रूप में मनाया जाता है और इसे ‘काली चौदस’ के नाम से जाना जाता है। माँ काली के लिए भव्य पंडाल बनाए जाते हैं और एक विशेष पूजा भी की जाती है।
कुछ भक्त नरक चतुर्दशी के दिन व्रत भी रखते हैं। व्रत रखने वाले लोग पूरी श्रद्धा के साथ देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं और सभी पूजा अनुष्ठान पूरा करने के बाद अपना व्रत तोड़ते हैं। इस वर्ष नरक चतुर्दशी व्रत या छोटी दिवाली 31 अक्टूबर 2024, गुरुवार को मनाई जाएगी। इस दिन अभ्यंग स्नान का समय प्रातः 05:25 बजे से प्रातः 06:30 बजे के बीच रहेगा। इस दिन कुछ उपायों को करने से कई तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।
नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली के साथ और भी कई नामों से जाना जाता है। नरक चतुर्दशी के दिन नाली के किनारे दीपक जलाने की परंपरा है। चतुर्दशी यानी नरक चौदस के दिन लक्ष्मी जी तेल में निवास करती हैं, उस दिन शरीर में तेल लगाने से आर्थिक रूप से संपन्नता आती है। जो लोग आर्थिक तंगी से परेशान हैं, उन्हें इस दिन शरीर पर तेल अवश्य ही लगाना चाहिए, उनके पास पैसा आने लगेगा।
इस दिन जो 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ पूरे परिवार के साथ बैठकर करता है तो उसके परिवार से दुखों का अंत हो जाता है, उसे जीवन में कई प्रकार के बंधन, संकट व तनाव से मुक्ति मिल जाती है।
इस दिन सिर धोने और काजल लगाने से ‘काली नज़र’ या बुरी नज़र से बचा जा सकता है। पवित्र स्नान के बाद नए कपड़े पहनने की भी प्रथा है।
नरक चतुर्दशी के दिन ‘दीप दान’ (मिट्टी के बर्तन दान करना) की प्रथा भी एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है।