मध्यप्रदेश में नरवाई अर्थात पराली जलाने के मामले बढ़ रहे है और ये स्थिति पर्यावरण के लिए मुसीबत बनकर खड़ी हो रही है। साथ ही सभी जिलों की रैंकिंग भी की जा रही है और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सेटेलाइट डाटा की रिपोर्ट कलेक्टरों को भेजी जा रही है, ताकि वे अपने जिलों में इस पर कार्रवाई कर सकें।
भोपाल। मध्यप्रदेश में नरवाई अर्थात पराली जलाने के मामले बढ़ रहे है और ये स्थिति पर्यावरण के लिए मुसीबत बनकर खड़ी हो रही है। बता दें कि केंद्रीय पर्यावरण और वन मंत्रालय इन घटनाओं को लेकर लगातार दिशा-निर्देश जारी कर रहा है। साथ ही सभी जिलों की रैंकिंग भी की जा रही है और मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा सेटेलाइट डाटा की रिपोर्ट कलेक्टरों को भेजी जा रही है, ताकि वे अपने जिलों में इस पर कार्रवाई कर सकें।
किसानों के विरोध के कारण कई जिलों के कलेक्टर पराली जलाने की घटनाओं पर सख्त कार्रवाई नहीं कर पाते हैं। जबकि केंद्रीय सरकार, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और एनजीटी लगातार इस संबंध में कड़े दिशा-निर्देश जारी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा एकत्र किए गए सेटेलाइट डाटा के आधार पर संबंधित जिलों के कलेक्टरों को इस मामले में कार्रवाई करने के लिए सूचित किया गया है। इस डाटा में होशंगाबाद जिले में सबसे ज्यादा 292 स्थानों पर पराली जलाने की घटनाएं मिली हैं। इसके बाद छिंदवाड़ा, सागर, उज्जैन और सिहोर जैसे जिलों में भी यह समस्या अधिक है।
प्रमुख सचिव पर्यावरण की सख्त निगरानी
प्रमुख सचिव पर्यावरण ने भी इस मामले पर कड़ी निगरानी रखने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने सभी कलेक्टरों को आग की घटनाओं की रोजाना रिपोर्ट भेजने का आदेश दिया है। साथ ही, इन घटनाओं पर नियंत्रण करने के लिए सख्त कार्रवाई करने की हिदायत दी है। यह प्रयास इसलिए किया जा रहा है ताकि पर्यावरण पर होने वाले नुकसान को कम किया जा सके और प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित किया जा सके। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से इस दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, ताकि इस समस्या का समाधान निकाला जा सके।