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Navratri Special: आखिर क्यों नवरात्रि में कन्या पूजन के दौरान होती है लंगूर की पूजा?, यहाँ जाने पौराणिक कथा

नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। जो लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं इस दिन कन्याओं को भोजन कराने के बाद अपना उपवास छोड़ते हैं. 9 छोटी कन्याओं को खाना खिलाया जाता है और साथ में एक लड़के को भी और इस लड़के को लंगूर कहा जाता है, लेकिन क्या आपको ऐसा करने की वजह पता है?

By आराधना शर्मा 
Updated Date

Navratri Special: नवरात्रि के अंतिम दिन यानी नवमी को कन्या पूजन किया जाता है। जो लोग नौ दिनों का व्रत रखते हैं इस दिन कन्याओं को भोजन कराने के बाद अपना उपवास छोड़ते हैं. 9 छोटी कन्याओं को खाना खिलाया जाता है और साथ में एक लड़के को भी और इस लड़के को लंगूर कहा जाता है, लेकिन क्या आपको ऐसा करने की वजह पता है?

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नवमी के दिन 9 कन्याओं को हलुआ-पूड़ी और चना या दही जलेबी खिलाया जाता है और कन्याओं के पैर पूजकर उन्हें कुछ दक्षिणा दी जाती है. छोटी लड़कियों को देवी का रूप समझा जाता है इसलिए उनकी पूजा की जाती है. कन्या खिलाने के दौरान एक लड़के को भी ‘लंगूर’ के तौर पर बैठाया जाता है. इसके पीछे मान्यता यह है कि बिना लंगूर को खिलाए पूजा पूरी नहीं होती.

कन्या पूजन में दरअसल, लंगूर यानी बजरंग बली का रूप समझकर लड़के को खाना खिलाया जता है. कन्या पूजन में यदि लंगूर को न बैठाया जाए तो यह पूजा अधूरी मानी जाती है. अगर आप भी कन्या पूजन की तैयारियां करने जा रहे हैं जो चलिए आपको बता दें इससे जुड़ी कुछ खास बातें.

कन्‍या पूजन के दिन जल्दी छोटी लड़कियां नहीं मिलती, क्योंकि उन्हें बहुत जगह से निमंत्रण मिलता है, ऐसे में एक दिन पहले ही आप अपने आसपड़ोस की लड़कियों को न्योता दे दें. नवमी के दिन जो भी कन्या आपके घर आए तो उसका स्वागत दूध की धार और फूलों से करें और मां के नौ स्वरूपों के जयकारे लगाएं.

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अब इन कन्याओं को किसी साफ़ सुथरी जगह पर बैठा दें और किसी पीतल की बड़ी परात में दूध, फूल और पानी मिलाकर उनके पैर धोकर आशीर्वाद लें. मां दुर्गा के सभी रूपों का स्मरण करते हुए उन्हें भोजन कराएं. इसके बाद उन्हें दक्षिणा के रूप में कुछ भेंट दें फिर पैर छू कर उन्हें विदा करें.  कन्या पूजन में शामिल होने वाली लड़कियों की आयु अधिकतम 10 साल ही होनी चाहिए.

कन्या पूजन में कन्या पूजन के दौरान लड़कों को भी लंगूर के रूप में पूजना जरूरी है. जिस प्रकार मां वैष्णो देवी के दर्शन भैरो के बिना अधूरे माने जाते हैं ठीक उसी तरह बिना एक लड़के को लंगूर के तौर पर भोजन कराए नवमी की पूजा अधूरी रहती है.

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