1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. No Bra, No Entry : परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले छात्राओं की ब्रा चेक करने का वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर मचा तूफान

No Bra, No Entry : परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले छात्राओं की ब्रा चेक करने का वीडियो वायरल, सोशल मीडिया पर मचा तूफान

No Bra, No Entry: नाइजीरिया के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय Olabisi Onabanjo University (OOU) में महिला स्टाफ द्वारा छात्राओं की ब्रा चेक करने का एक वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तूफान मच गया है। यह वीडियो परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले महिला छात्रों के स्तनों को छूकर यह जांचने की प्रक्रिया को दिखाता है कि उन्होंने ब्रा पहनी है या नहीं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

No Bra, No Entry: नाइजीरिया के एक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय Olabisi Onabanjo University (OOU) में महिला स्टाफ द्वारा छात्राओं की ब्रा चेक करने का एक वीडियो सामने आने के बाद सोशल मीडिया पर तूफान मच गया है। यह वीडियो परीक्षा हॉल में प्रवेश से पहले महिला छात्रों के स्तनों को छूकर यह जांचने की प्रक्रिया को दिखाता है कि उन्होंने ब्रा पहनी है या नहीं। वीडियो वायरल होते ही इंटरनेट पर बहस छिड़ गई। एक यूजर ने लिखा – “ये उत्पीड़न है। हर किसी के ब्रा न पहनने के अपने कारण हो सकते हैं। वहीं एक अन्य ने कड़ा रुख अपनाते हुए लिखा, “ये मानवाधिकार का उल्लंघन है, इन पर केस करो!”

पढ़ें :- Realme 16 Pro Series :  रियलमी 16 प्रो सीरीज इंडिया लॉन्च डेट कन्फर्म , जानें कैमरा और प्रीमियम लुक

हालांकि, कुछ यूजर्स और विश्वविद्यालय के स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष मुज्ज़ ओलातुंजी ने इस नीति का बचाव किया। उन्होंने कहा – “‘नो ब्रा, नो एंट्री’ कोई नई पॉलिसी नहीं है। यह ड्रेस कोड का हिस्सा है, जो विश्वविद्यालय में अनुशासन और मर्यादा बनाए रखने के लिए लागू किया गया है। उनके अनुसार, इस नियम का मकसद छात्रों को अश्लील कपड़ों से दूर रखना और वातावरण को ध्यान भटकाने से मुक्त बनाना है।

पढ़ें :- यूपी में ठंड ने कई जिलों में स्कूलों में लगाया ताला, मौसम विभाग ने 35 जिलों के लिए जारी किया 'रेड' और 'ऑरेंज' अलर्ट

क्या यह नियम अनुचित है या सांस्कृतिक जरूरत?

कुछ लोगों का मानना है कि सार्वजनिक स्थानों पर ब्रा न पहनना अनुचित हो सकता है, खासकर एक पारंपरिक और धार्मिक देश जैसे नाइजीरिया में, जहां सामाजिक मूल्यों की अपेक्षा सख्त होती है। वहीं, आलोचकों का तर्क है कि किसी की निजता में इस तरह हस्तक्षेप करना, खासकर शारीरिक जांच के माध्यम से, न केवल असंवेदनशील है बल्कि यह यौन उत्पीड़न और भेदभाव के दायरे में आता है।

स्टूडेंट यूनियन की पहल: समाधान की कोशिश

हालांकि यूनियन अध्यक्ष ने नीति का समर्थन किया, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि वे विश्वविद्यालय प्रबंधन से मिलकर वैकल्पिक और सम्मानजनक समाधान तलाशेंगे, जिससे छात्राओं और स्टाफ के बीच संवाद मर्यादित और सम्मानजनक बना रहे।

ड्रेस कोड बनाम व्यक्तिगत आजादी

पढ़ें :- बांग्लादेश के शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद छिड़ा बवाल, भारत पर लग रहे ​आरोप

नाइजीरिया के ज़्यादातर विश्वविद्यालयों में ड्रेस कोड पहले से लागू हैं – जैसे महिलाओं के लिए मिनी स्कर्ट प्रतिबंधित हैं और पुरुषों के लिए डेडलॉक या इयररिंग्स वर्जित हैं। लेकिन जब नियम इतने निजी और शारीरिक स्तर तक पहुंचते हैं, तब सवाल खड़े होना स्वाभाविक है।

Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...