देश की राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार ये ऐतिहासिक मस्जिद अपने एक फरमान को लेकर विवादों में है। बता दें कि अब जामा मस्जिद में लड़कियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फरमान मस्जिद की ओर से जारी किया गया है।
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली की जामा मस्जिद एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार ये ऐतिहासिक मस्जिद अपने एक फरमान को लेकर विवादों में है। बता दें कि अब जामा मस्जिद में लड़कियों के आने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। यह फरमान मस्जिद की ओर से जारी किया गया है।
मस्जिद की दीवारों पर बाकयदा एक प्लेट लगा दी गई है। सोशल मीडिया पर यह प्लेट वायरल हो रही है। जिसमें लिखा हुआ है कि जामा मस्जिद में लड़की या लड़कियों का अकेले दाखिला मना है। बता दें कि अब जामा मस्जिद के द्वारा लिए गए इस फैसले की चौतरफा निंदा हो रही है। हिंदू सगंठनों ने भी जामा मस्जिद के इस फैसले की कड़ी निंदा की है। वहीं सोशल मीडिया पर भी लोग इस फैसला का जमकर विरोध कर रहे है।
जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूँ। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।
— Swati Maliwal (@SwatiJaiHind) November 24, 2022
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने भी जामा मस्जिद में लड़कियों की एंट्री पर रोक लगाने पर नाराजगी जाहिर की है। साथ ही मालीवाल ने जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस भी भेजा है। उन्होंने गुरुवार को ट्वीट करते हुए लिखा, ”जामा मस्जिद में महिलाओं की एंट्री रोकने का फ़ैसला बिलकुल ग़लत है। जितना हक एक पुरुष को इबादत का है उतना ही एक महिला को भी। मैं जामा मस्जिद के इमाम को नोटिस जारी कर रही हूं। इस तरह महिलाओं की एंट्री बैन करने का अधिकार किसी को नहीं है।”
तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु, मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं..? pic.twitter.com/eT9XGaw0Jd
— विनोद बंसल Vinod Bansal (@vinod_bansal) November 23, 2022
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद के प्रवक्ता विनोद बंसल ने जामा मस्जिद प्रशासन के इस फैसले की आलोचना की थी। उन्होंने लिखा, ”तीन तलाक, हलाला, हिजाब और काले बोरे में कैद रखने वाले जिहादी ठेकेदार मुस्लिम बेटियों को व्यभिचार के अड्डे बनते मदरसों में भेजने की तो वकालत करते हैं किन्तु, मस्जिदों के गेट पर लट्ठ लेकर खड़े हो जाते हैं..?