HBE Ads
  1. हिन्दी समाचार
  2. दिल्ली
  3. अब दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG, 10 प्वाइंट में समझें सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश

अब दिल्ली सरकार की सलाह पर काम करेंगे LG, 10 प्वाइंट में समझें सुप्रीम कोर्ट का पूरा आदेश

केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर कंट्रोल को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर आखिरकार गुरुवार को पटाक्षेप हो गया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  की संविधान पीठ ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़  की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। केंद्र और दिल्ली सरकार के बीच राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में प्रशासनिक सेवाओं पर कंट्रोल को लेकर लंबे समय से चल रहे विवाद पर आखिरकार गुरुवार को पटाक्षेप हो गया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  की संविधान पीठ ने आज बड़ा फैसला सुनाया है। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डी वाई चंद्रचूड़  की अगुआई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि यह सर्वसम्मति का फैसला है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की इस पीठ ने जनवरी में ही इस मामले पर सुनवाई करते हुए अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

पढ़ें :- Delhi Air Pollution : वायु प्रदूषण को लेकर शशि थरूर का फूटा गुस्सा, क्या नई दिल्ली को देश की राजधानी होना चाहिए?

इस पीठ में सीजेआई (CJI) के अलावा जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पीएस नरसिम्हा संविधान पीठ में शामिल हैं। दिल्ली में सेवाओं के नियंत्रण से संबंधित दिल्ली सरकार की याचिका पर फैसला सुनाया गया है।

सुप्रीम कोर्ट के फैसले की 10 बड़ी बातें

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  जस्टिस भूषण के उस फैसले से बिल्कुल सहमत नहीं है जिसमें कहा गया था कि दिल्ली सरकार के पास सेवाओं (ट्रांसफर-पोस्टिंग) को लेकर कोई भी अधिकार नहीं है।

दिल्ली विधानसभा को यह शक्ति मिली है कि वह लोगों के उम्मीदों को पूरा कर सके।

पढ़ें :- दिल्ली गैस चैंबर में तब्दील, सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में 10-12 तक के स्कूलों को बंद करने का दिया आदेश

यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि एक राज्य का प्रशासन केंद्र अपने हाथ में न ले।

एक प्रजातांत्रिक प्रारूप की सरकार में असली शक्ति लोगों द्वारा चुनी गई सरकार में ही होनी चाहिए।

दिल्ली की सरकार के पास सेवाओं (ट्रांसफर-पोस्टिंग) को लेकर विधाई शक्ति है। हालांकि इसमें पब्लिक ऑर्डर, पुलिस और भूमि शामिल नहीं हैं।

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने राष्ट्रीय राजधानी में प्रशासनिक सेवाओं पर नियंत्रण के लिए दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला सुनाया और माना कि नौकरशाहों पर उसका नियंत्रण होना चाहिए।

कोर्ट ने ये भी कहा कि एलजी को सरकार के साथ हर फैसले के लिए सरकार से बात करनी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली सरकार अन्य राज्यों की तरह लोगों के प्रति जवाबदेह है, लेकिन उसके अधिकार कम है।

पढ़ें :- नेता जी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु की जांच की मांग करने वाले को SC ने लगाई फटकार, कहा-हम हर चीज के एक्सपर्ट नहीं

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court)  ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर अधिकारी मंत्रियों को रिपोर्ट करना बंद कर देते हैं या उनके निर्देशों का पालन नहीं करते हैं, तो सामूहिक जिम्मेदारी का सिद्धांत प्रभावित होता है।

अधिकारियों को लगता है कि वे सरकार के नियंत्रण से अछूते हैं, जो जवाबदेही को कम करेगा और शासन को प्रभावित करेगा।

CJI डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एमआर शाह, कृष्ण मुरारी, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच चल रहे विवाद पर आज बहुमत से फैसला सुनाया। इस विवादास्पद मुद्दे पर फैसले के बाद ये साफ हो गया कि दिल्ली में केजरीवाल सरकार ही अधिकारियों के तबादलों और पोस्टिंग को लेकर प्रशासनिक सेवाओं को नियंत्रित करेगी।

इन टॉपिक्स पर और पढ़ें:
Hindi News से जुड़े अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक, यूट्यूब और ट्विटर पर फॉलो करे...