NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव की जड़ें स्वास्थ्य विभाग में काफी गहरी हैं। स्वास्थ्य विभाग में हर छोटे—बड़े काम NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उसके परिचितों की फर्म के द्वारा किया जाता है। दरअसल, इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी उस पर है, जिसके कारण वो लंबे समय से नई नई फर्मों के द्वारा स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के ठेके मैनेज कर रहा है।
लखनऊ। NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव की जड़ें स्वास्थ्य विभाग में काफी गहरी हैं। स्वास्थ्य विभाग में हर छोटे—बड़े काम NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उसके परिचितों की फर्म के द्वारा किया जाता है। दरअसल, इसके पीछे स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मेहरबानी उस पर है, जिसके कारण वो लंबे समय से नई नई फर्मों के द्वारा स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों के ठेके मैनेज कर रहा है। अब पर्दाफाश न्यूज के हाथ में मुकेश और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से जुड़ी एक और चौंकाने वाली खबर हाथ लगी है, जो स्वास्थ्य विभाग और मुकेश के गठजोड़ को साफ उजागर कर रही है।
दरअसल, सूत्रों की माने तो वित्त नियंत्रक शिवेंद्र मिश्रा लंबे समय से NRHM घोटाले के आरोपी मुकेश श्रीवास्तव और उसके परिजनों की फर्मों पर मेहरबान हैं, जिसके कारण करीब बजट का 40 प्रतिशत हिस्सा मुकेश और उसके परिजनों की फर्मों को मिलता है। बताया जा रहा है कि, जब से शिवेंद्र मिश्रा को वित्त नियंत्रक बनाया गया है, तब से ये मुकेश पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। हालांकि, वो भूल जा रहे हैं कि, मुकेश खुद ही NRHM घोटाले का आरोपी है।
बजट के नियमों में शिवेंद्र मिश्रा ने किया बदलाव
यही नहीं वित्त नियंत्रक शिवेंद्र मिश्रा लगातार उसके लिए नियमों में भी बदलाव करते रहते हैं। बजट को लेकर इन्होंने कई बार बदलाव किया है। पहले साल में चार बार बजट होता था, जिसके बाद साल में तीन महीने बजट आता था लेकिन अब पिछले साल से साल में दो बार बजट देने लगे हैं। सूत्रों की माने तो साल में दो बार बजट देने के कारण भारी बरकम बजट खर्च होता है। इसके जरिए 200 से 300 करोड़ का बंदरबाट भी ये लोग करते हैं। सूत्रों की माने तो मुकेश श्रीवास्तव को इसमें बड़ा फायदा पहुंचता है, जिसके कारण नियमों में लगातार बदलाव किए गए।
फर्मों को बदल-बदल कर करता है काम
मुकेश श्रीवास्वत से जुड़ी कई ऐसी फर्में हैं, जिसको लेकर जांच चल रही है। हालांकि, हर बार वो नई फर्म के जरिए स्वास्थ्य विभाग में करोड़ों का काम आसानी से हासिल कर लेता है। इसके पीछे अधिकारियों की उस पर मेहरबानी रहती है। अधिकारी जानते हुए भी मुकेश और उससे जुड़ी हुई फर्मों को करोड़ों का काम दे देते हैं।