उत्तर प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद समेत अन्य जिलों में कूड़ा निस्तारण के नाम पर हजारों करोड़ों का बड़ा खेल खेला जा रहा है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के नाम पर जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। लखनऊ, कानपुर, प्रयागराज, मुरादाबाद समेत अन्य जिलों में कूड़ा निस्तारण के नाम पर हजारों करोड़ों का बड़ा खेल खेला जा रहा है। ये सब नगर विकास और उसके अधिकारियों की मिलीभगत से सरकार की आंख में धूल झोंककर किया जा रहा है। अधिकारियों की इस करतूत से साफ है कि, वो कूड़ा निस्तारण से ज्यादा दिलचस्पी ‘धन प्रबंधन’ में दिखा रहे हैं।
दरअसल, उत्तर प्रदेश के कई जिलों से लगातार कूड़ा निस्तारण में हो रहे करोड़ों के भ्रष्टाचार पर सवाल उठ रहा है। मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख सचिव अमृत अभिजात तक इसकी शिकायत पहुंच रही है। बावजूद इसके चेहती फर्मों को आसानी से टेंडर मिल जा रहा है और वो मनमाने तरीके से सरकारी खजाने को लूट रहे हैं। सूत्रों की माने तो प्रमुख सचिव तक भी इसकी शिकायत पहुंच गयी है लेकिन वो भी खामोश बने हुए हैं।
फर्जी तरीके सर्वे कराकर लेते हैं करोड़ों रुपये
उत्तर प्रदेश में कूड़ा निस्तारण के नाम पर खूब धोखाधड़ी भी अधिकारियों की मदद से की जा रही है। दरअसल, अधिकारियों की चेहती फर्में कूड़े के डंप का अपनी मर्जी के मुताबिक सर्वे भी कराती हैं और इसमें अधिकारियों का भी उनको साथ मिलता है, जिसके कारण कंपनी अपनी मनमर्जी तरीके से भुगतान कराती है। लिहाजा, सरकारी खजाने पर इसको लेकर बड़ा बोझ पड़ता है।
पर्दाफाश कंपनियों के नाम का जल्द करेगा खुलासा
पर्दाफाश के हाथ उन कंपनियों की भी जानकारी लगी है, जो प्रदेश के विभिन्न जिलों में कूड़ा निस्तारण के नाम पर करोड़ों की लूट कर रहे हैं। पर्दाफाश न्यूज जल्द ही कूड़ा निस्तारण के नाम पर करोड़ों का सरकारी खजाना लूटने वाली कंपनियों के नाम का खुलासा करेगा। साथ ही ये भी बताएगा कि कैसे इन कंपनियों ने टेंडर हासिल किया और किसकी मेहरबानी इन पर बनी है। साथ ही सर्वे के नाम पर इन कंपनियों ने कैसे खेल किया, इसकी भी जानकारी हम आपको देंगे।
लखनऊ में भी उजागार हुआ बड़ा खेल
हाल में ही लखनऊ नगर निगम में एक बड़ा खेल उजागर हुआ है। इसकी शिकायत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की गयी है। शिकायतकर्ता ने केंद्रीय एजेंसियों से जांच की मांग की है। लखनऊ स्वच्छता अभियान (LSA) के तहत कचरा संग्रहण की दर ₹1,329 प्रति टन से बढ़ाकर ₹3,031 प्रति टन कर दी गई, जिससे निगम को प्रति वर्ष ₹156 करोड़ का घाटा हो रहा है। इसके अलावा, 77 वार्डों को कवर करने वाले पांच ज़ोन में सड़क सफाई के ठेके संदिग्ध परिस्थितियों में दिए गए। जहां रिपोर्ट की गई कुल सड़क लंबाई 3,500 किमी बताई गई, वहीं स्थानीय पार्षदों का दावा है कि वास्तविक लंबाई 25,000 किमी है। इससे सफाई बजट ₹110 करोड़ से बढ़कर ₹790 करोड़ तक पहुंच सकता है। 30 मार्च 2024 को महापौर द्वारा सड़कों की पुनः माप के आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई।