एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बुधवार को हुई नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) की कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया, जिस पर सर्वसम्मति से कैबिनेट ने मुहर लगा दी।
नई दिल्ली। एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) समिति की रिपोर्ट को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। बुधवार को हुई नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) की कैबिनेट बैठक में इस प्रस्ताव को पेश किया गया, जिस पर सर्वसम्मति से कैबिनेट ने मुहर लगा दी। इस रिपोर्ट को कोविंद समिति (Kovind Committee) ने लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इसी साल मार्च में सौंपा था। इसे लेकर कानून मंत्रालय काफी सक्रिय है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि एक देश एक चुनाव (One Nation One Election) के क्या फायदे हो सकते हैं और कैसे इस पर अमल किया जा सकता है? रिपोर्ट के अनुसार लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ हो सकते हैं। इसके अलावा बाद में स्थानीय निकाय चुनावों को भी इसमें शामिल किया जा सकता है। ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ (One Nation One Election) से संबंधित विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र (Winter Session of Parliament) में पेश किए जाने की उम्मीद है।
पैनल की सिफारिशें
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) की अध्यक्षता वाली ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) संबंधी समिति ने इस साल 15 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश की गई थी। पैनल ने सिफारिशों के क्रियान्वयन पर विचार करने के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ (Implementation Group) गठित करने का भी प्रस्ताव रखा था।
पैनल ने कहा था कि एक साथ चुनाव कराने से संसाधनों की बचत होगी, विकास और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा मिलेगा, “लोकतांत्रिक ढांचे की नींव मजबूत होगी” और “भारत, यानी भारत” की आकांक्षाओं को साकार करने में मदद मिलेगी।
पैनल ने राज्य चुनाव अधिकारियों के परामर्श से चुनाव आयोग द्वारा एक समान मतदाता सूची और मतदाता पहचान पत्र तैयार करने की भी सिफारिश की थी। वर्तमान में, चुनाव आयोग (Election Commission) लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए जिम्मेदार है, जबकि नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए स्थानीय निकाय चुनाव राज्य चुनाव आयोगों द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं।
पैनल ने 18 संवैधानिक संशोधनों की सिफारिश की थी, जिनमें से अधिकांश को राज्य विधानसभाओं द्वारा अनुसमर्थन की आवश्यकता नहीं होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ संवैधानिक संशोधन विधेयकों की आवश्यकता होगी जिन्हें संसद द्वारा पारित करने की आवश्यकता होगी।कम से कम आधे राज्यों को एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता पहचान पत्र के संबंध में कुछ प्रस्तावित परिवर्तनों की पुष्टि करने की आवश्यकता होगी।
विधि आयोग की रिपोर्ट जल्द ही आने की संभावना
इसके अलावा, विधि आयोग (Law Commission) भी एक साथ चुनाव कराने पर अपनी रिपोर्ट जल्द ही आने की संभावना है। सूत्रों के अनुसार, विधि आयोग सरकार के सभी तीन स्तरों – लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और नगरपालिकाओं और पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों – के लिए 2029 से एक साथ चुनाव कराने की सिफारिश कर सकता है, और सदन में अविश्वास प्रस्ताव या अविश्वास प्रस्ताव जैसे मामलों में एकता सरकार के लिए प्रावधान कर सकता है।
32 राजनीतिक दलों का समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (Former President Ram Nath Kovind) की अध्यक्षता वाली समिति ने ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ (One Nation One Election) के मुद्दे पर 62 पार्टियों से संपर्क किया था और इस पर जवाब देने वाले 47 राजनीतिक दलों में से 32 ने एक साथ चुनाव कराने के विचार का समर्थन किया, जबकि 15 दलों ने इसका विरोध किया। रिपोर्ट के अनुसार, कुल 15 पार्टियों ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी।
क्या होंगे एक साथ चुनाव के फायदे?
चुनाव पर होने वाले करोड़ों के खर्च से बचत।
बार बार चुनाव कराने से निजात।
फोकस चुनाव पर नहीं बल्कि विकास पर होगा।
बार-बार आचार संहिता का असर पड़ता है।
काले धन पर लगाम भी लगेगी।