लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में विपक्ष मंहगाई को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयार कर रहा है। इसको को देखते हुए नए साल 2024 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जनता को बड़ा तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में 10 रुपए प्रति लीटर की घोषणा कर सकते हैं।
नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Elections 2024) में विपक्ष मंहगाई को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाने की तैयार कर रहा है। इसको को देखते हुए नए साल 2024 में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) जनता को बड़ा तोहफा देते हुए पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में 10 रुपए प्रति लीटर की घोषणा कर सकते हैं।
मोदी सरकार (Modi Government) के इस फैसले को इसलिए अहम माना जा रहा है कि देश में महंगाई को कम करना सरकार का प्राइमरी टारगेट बन गया है। बता दें कि आरबीआई (RBI) पहले ही महंगाई को कम करने के लिए ब्याज दरों में 2.50 फीसदी का इजाफा कर चुकी है। साथ ही खाद्य महंगाई (Food Inflation) को कम करने के लिए सरकार पहले से कई तरह के कदम उठा रही है। अब सिर्फ पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) ही था, जोकि सरकार के लिए गले की फांस बन रहा था। जिस पर कुछ समय से वित्त और तेल मंत्रालय (Ministry of Finance and Oil) के बीच मंथन चल रहा था। सूत्रों का कहना है कि अगर कच्चे तेल की कीमतें 80 डॉलर या उससे नीचे रहती हैं तो जनवरी की शुरुआत में पेट्रोल और डीजल की कीमत को कम किया जाएगा।
जानें कौन उठाएगा भार?
बाजार के जानकार ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कच्चे तेल की कीमत 80 डॉलर और उससे नीचे पर काफी समय से है। वहीं रूस से कच्चा तेल लेकर ऑयल कंपनियों को काफी फायदा हो चुका है। साथ ही इन कंपनियों के शेयरों में तेजी की वजह से वैल्यूएशन में भी बढ़ोतरी देखने को मिली है। ऐसे में सरकार ऑयल कंपनियों से पेट्रोल और डीजल सस्ता करने के लिए कहेगी। सरकार अपनी ओर से टैक्स में किसी तरह की कटौती नहीं करेगी। इसका मतलब है कि ऑयल कंपनियों डेली कटौती कर पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) को सस्ता करेंगी।
पिछले साल ऑयल कंपनियां घाटे में थी, लेकिन रूस से सस्ता तेल खरीदकर और पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में कटौती ना कंपनियों को पहले फायदे में लाया गया। बीती तीन तिमाहियों के नतीजे साफ कहते हैं कि ऑयल कंपनियों को जबरदस्त फायदा हुआ है। पेट्रोल और डीजल से कंपनियां काफी फायदा कमा रही है। जिसकी वजह से कंपनियों के शेयरों में भी तेजी देखने को मिल रही है।
कितनी है कच्चे तेल की कीमत?
मौजूदा समय में कच्चे तेल की कीमत में गिरावट देखने को मिल रही है, जिसका कारण डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) का कम होना है। फेड अगले साल ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इस खबर की वजह से डॉलर इंडेक्स (Dollar Index) में गिरावट देखने को मिल रही है। आंकड़ों के अनुसार खाड़ी देशों का कच्चा तेल 77.52 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। वहीं दूसरी ओर अमेरिकी तेल 72.04 डॉलर प्रति बैरल पर कारोबार कर रहा है। पिछले साल मार्च अप्रैल के मुकाबले कच्चे तेल की कीमत में 60 से 70 डॉलर प्रति बैरल की गिरावट आ चुकी है। खास बात तो ये है कि ओपेक अपने प्रोडक्शन में लगातार गिरावट कर रहा है, उसके बाद भी कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा साल में 100 डॉलर के पार नहीं गई।
जानें क्या कहते हैं जानकार?
एचडीएफसी सिक्योरिटी के करेंसी कमोडिटी हेड अनुज गुप्ता (Anuj Gupta, Head of Currency Commodity, HDFC Securities) ने बताया कि जैसा की करीब एक महीने से इसी बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में 10 रुपए प्रति लीटर की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसका प्रमुख कारण कच्चे तेल की कीमत में गिरावट है। दिसंबर के महीने में लाल सागर की समस्या आने के बाद भी कच्चे तेल की कीमत में ज्यादा उछाल देखने को नहीं मिला। कच्चे तेल के औसत दाम 75 डॉलर प्रति बैरल के आस पास ही बने रहे। जिसे सरकार की ओर लगातार ऑब्जर्व किया जा रहा था। अब सरकार इसका फायदा आम लोगों को देने जा रही है।
जानें पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आखिरी बार कब हुआ था बदलाव?
भारत में पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में बदलाव काफी दिनों से देखने को नहीं मिला है। देश के महानगरों में आखिरी बार पेट्रोल और डीजल की कीमत में 21 मई के दिन बदलाव देखने को मिला था। उस वक्त देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में टैक्स को कम किया था। उसके बाद कुछ प्रदेशों ने वैट को कम या बढ़ाकर कीमतों को प्रभावित करने का प्रयास किया था। दिलचस्प बात ये है कि जब से देश में इंटरनेशनल मार्केट के हिसाब से पेट्रोल और डीजल (Petrol and Diesel) की कीमत में रोज बदलाव होने की शुरुआत हुई है, तब से यह पहला मौका है जब पेट्रोलियम कंपनियों ने रिकॉर्ड टाइमलाइन के दौरान कोई बदलाव नहीं हुआ है।