कुंडली में कुछ विशेष प्रकार के ग्रह योग बनने से पितृ दोष का निर्माण होता है। पितृ दोष के कारण परिवार में अशांति, वंश वृद्धि में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन में बरकत न होना, सारी सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना जैसी समस्याओं से जातक संघर्ष करता रहता है।
Pitra Dosh Upay : कुंडली में कुछ विशेष प्रकार के ग्रह योग बनने से पितृ दोष का निर्माण होता है। पितृ दोष के कारण परिवार में अशांति, वंश वृद्धि में रुकावट, आकस्मिक बीमारी, संकट, धन में बरकत न होना, सारी सुख-सुविधाएं होते हुए भी मन असंतुष्ट रहना जैसी समस्याओं से जातक संघर्ष करता रहता है। मान्यताओं के अनुसार,अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका विधि विधान से अंतिम संस्कार न किया गया हो, या फिर किसी की अकाल मृत्यु हो जाए तो उस व्यक्ति से जुड़े परिवार के लोगों को कई पीढ़ियों तक पितृ दोष का दंश झेलना पड़ता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार,नवम पर जब सूर्य और राहू की युति हो रही हो तो यह माना जाता है कि पितृ दोष योग बन रहा है। शास्त्र के अनुसार सूर्य तथा राहू जिस भी भाव में बैठते है, उस भाव के सभी फल नष्ट हो जाते है। व्यक्ति की कुण्डली में एक ऎसा दोष है जो इन सब दु:खों को एक साथ देने की क्षमता रखता है, इस दोष को पितृ दोष के नाम से जाना जाता है।आइये जानते है सरल एपाय के माध्यम से पितृ दोष को कैसे दूर किया जा सकता है।
1.प्रतिदिन पढ़ें हनुमान चालीसा।
2.श्राद्ध पक्ष में अच्छे से करें श्राद्ध कर्म।
3.गरीब, अपंग व विधवा महिला को दें दान।
4.पढ़ें गीता का 7वां अध्याय या मार्कण्डेय पुराणांतर्गत ‘पितृ स्तुति’ करें।
5.तेरस, चौदस, अमावस्या और पूर्णिमा के दिन गुड़-घी की धूप दें।
6.घर के आसपास पीपल के वृक्ष पर दोपहर में जल चढ़ाएं। इसके साथ ही पुष्प, अक्षत, दूध, गंगा जल और काले तिल भी अर्पित करें। हाथ जोड़कर पूर्वजों से 7.अपनी गलतियों के लिए क्षमा-याचना करें और उनसे आशीर्वाद मांगें।
8.घर में हर अमावस्या को श्रीमद्भागवत के गजेंद्र मोक्ष अध्याय का पाठ करें।