सनातन धर्म में पूजा करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। पूजा में हाथ जोड़ने का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है।
Pooja Mein Hath Jodna : सनातन धर्म में पूजा करने की परंपरा आदिकाल से चली आ रही है। पूजा में हाथ जोड़ने का आध्यात्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। ईश्वर को सर्व शक्तिमान मान कर उनके सामने हाथ् जोड़ कर सम्मान व्यक्त किया जाता है। वैज्ञानिकों की मानें तो जब कोई आपस में हाथ जोड़कर नमस्कार करते हैं तो हथेलियों के कुछ बिंदु ऐसे होते हैं जिन पर दबाव पड़ता है। इन बिंदुओं का सीधा संबंध मनुष्य के विभिन्न अंग जैसे कान, नाक, हृदय, आंख से होता है। इन बिंदुओं पर दबाव पड़ता है तो उस व्यक्ति के शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वैज्ञानिक भाषा में इसे एक्यूप्रेशर भी कहा जाता है।
हाथों की पोजीशन
जब भी आप भगवान के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो तो इस बात का विशेष ख्याल रखें की अपने हाथो की दोनों हथेलियों को आपस में मिलाकर ही खड़े होना चाहिए। इसे ढीला या लापरवाही से ना जोड़। ऐसा नहीं लगना चाहिए कि आप हाथ जोड़ने में आलस कर रहे हैं।
मन शांत और शुद्ध हो
जब भगवान के हाथ जोड़े तो मन का शुद्ध होना जरूरी हैं। आपके विचार साफ़ होना चाहिए। मन में कुछ गलत नहीं चलना चाहिए। इसलिए जब आपका मन शांत और शुद्ध हो तभी भगवान के हाथ जोड़े।
सर को झुका हुआ ही रखना
सर को झुका हुआ ही रखना चाहिए। सिर को ऊँचा रखकर खड़े होने से ऐसा लगता है मानो आपको घमंड हो।