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Prayagraj Shootout Case : उमेश पाल हत्याकांड में 13 जिलों की खाक छानने के बाद भी पुलिस खाली हाथ, जानें क्यों नाकाम हो रही पुलिस

Prayagraj Shootout Case : उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में 13 जिलों की खाक छानने के बाद आज भी पुलिस के हाथ खाली हैं। मुख्य आरोपी असद समेत उन पांच शूटरों का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है, जिन्होंने उमेश पाल (Umesh Pal) व उनके दो सुरक्षाकर्मियों को बम गोलियों से भून दिया था।

By संतोष सिंह 
Updated Date

Prayagraj Shootout Case : उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case) में 13 जिलों की खाक छानने के बाद आज भी पुलिस के हाथ खाली हैं। मुख्य आरोपी असद समेत उन पांच शूटरों का अब तक पता नहीं लगाया जा सका है, जिन्होंने उमेश पाल (Umesh Pal) व उनके दो सुरक्षाकर्मियों को बम गोलियों से भून दिया था। पूर्वांचल के कई जनपदों के साथ ही मध्य प्रदेश तक पुलिस उनकी तलाश में दबिश दे रही है, लेकिन अब तक उसके हाथ नाकामी ही आई है।

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बता दें कि उमेश पाल (Umesh Pal)  की हत्या के बाद न सिर्फ पुलिस बल्कि एसटीएफ (STF) भी लगातार हत्यारों की तलाश में जुटी हुई है। अतीक अहमद के बेटे असद और इस हत्याकांड में शामिल गुड्डू मुस्लिम, गुलाम, अरमान, साबिर अब तक पुलिस के हाथ नहीं आए हैं। तलाश में जुटी टीमें पूर्वांचल के कई जनपदों में तो दबिश दे ही चुकी हैं, मध्य प्रदेश के कई जनपदों में भी सुरागरसी के लिए जा चुकी हैं।

घटना के बाद सबसे पहले पुलिस की एक टीम ने लखनऊ में छापा मारा जहां महानगर स्थित यूनिवर्सल अपार्टमेंट में अतीक के बेटे असद के छिपे होने की आशंका जताई गई थी।इसके अलावा अलग-अलग टीमों ने कौशांबी, फतेहपुर, गाजीपुर श्रावस्ती, नोएडा, गाजियाबाद, चित्रकूट, कानपुर, बांदा, प्रतापगढ़ के अलावा रीवा, उज्जैन में भी दबिश दी।

14 दिन 13 जनपदों में धूल फांकती रही पुलिस

यूपी (UP)के इन जनपदों में पुलिस अलग-अलग स्थानों पर पहुंचकर धूल फांकती रही लेकिन उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case)  के शूटर हाथ नहीं आए। इस तरह से 14 दिन में 13 जनपदों की खाक छानने के बाद भी पुलिस और एसटीएफ (STF)  के हाथ खाली ही हैं। सूत्रों का कहना है कि उमेश पाल हत्याकांड में चिंतित होने के बावजूद शूटर पुलिस के हाथ नहीं आ पा रहे हैं तो इसकी अपनी वजह भी है। सबसे बड़ा कारण यह है कि मौजूदा समय में पुलिस पूरी तरह से अपराधियों की धरपकड़ के लिए सर्विलांस पर निर्भर हो गई है। जानकारों का कहना है कि किसी भी घटना में खुलासे के लिए पुलिस सबसे पहले आरोपियों की लोकेशन, सीडीआर (CDR) आदि खंगालने में जुट जाती है।

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ज्यादातर मामलों में अपराधी मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं और इस वजह से वह पकड़े जाते हैं। लेकिन जिन मामलों में मोबाइल का इस्तेमाल नहीं होता है उनमें खुलासा करना पुलिस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं होता। सर्विलांस पर निर्भर रहने के कारण पुलिस का स्थानीय मुखबिर तंत्र लगभग ना के बराबर रह गया है। यही वजह है कि मोबाइल का इस्तेमाल न होने पर पुलिस असहाय हो जाती है। कमोबेश ऐसा ही उमेश पाल हत्याकांड (Umesh Pal Murder Case)  में भी उसके साथ हो रहा है।

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