हिमाचल (Himachal) में जीत के बाद कांग्रेस हाईकमान ने 48 घंटे के भीतर ही मुख्यमंत्री को लेकर उलझी गुत्थी को सुलझा लिया। पार्टी ने वीरभद्र की विरासत को नजरअंदाज कर सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) को नया सीएम बनाया है। हाईकमान के इस फैसले के पीछे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की अहम भूमिका मानी जा रही है।
नई दिल्ली। हिमाचल (Himachal) में जीत के बाद कांग्रेस हाईकमान ने 48 घंटे के भीतर ही मुख्यमंत्री को लेकर उलझी गुत्थी को सुलझा लिया। पार्टी ने वीरभद्र की विरासत को नजरअंदाज कर सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhwinder Singh Sukhu) को नया सीएम बनाया है। हाईकमान के इस फैसले के पीछे कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) की अहम भूमिका मानी जा रही है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक हिमाचल में रिजल्ट के बाद से ही कांग्रेस हाईकमान खासकर प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) सक्रिय हो गई। शिमला में मौजूद ऑब्जर्वर से प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) लगातार संपर्क में रहीं और आखिर में विधायकों की राय जानने के बाद हाईकमान ने सुक्खू के नाम पर मुहर लगा दी।
2019 में पॉलिटिक्स में एंट्री करने के बाद प्रियंका कांग्रेस हाईकमान के लिए कई बार संकटमोचक की भूमिका निभा चुकी हैं। इनमें राजस्थान में बागी सचिन पायलट (Sachin Pilot) को मनाने से लेकर पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह (Captain Amarinder Singh in Punjab) को सत्ता से हटाने तक के फैसले शामिल हैं।
4 बड़े फैसलों में शामिल रही हैं प्रियंका
खड़गे की उम्मीदवारी अंतिम वक्त में तय करने में
सितंबर 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन भरा जा रहा था। गांधी परिवार के बाद अशोक गहलोत ने भी पर्चा नहीं भरने की बात कह दी। गहलोत के मना करने के बाद कद्दावर नेता दिग्विजय सिंह ने अध्यक्ष के लिए पर्चा भरने का ऐलान कर दिया। दिग्विजय और शशि थरूर के बीच मुकाबला तय माना जा रहा था।
लेकिन नामांकन से एक रात पहले सोनिया-प्रियंका के बीच करीब 2 घंटे तक मीटिंग चली। यह मीटिंग सोनिया के आवास 10 जनपथ पर न होकर प्रियंका के निजी आवास पर हुई। मीटिंग के कुछ घंटे बाद ही गांधी परिवार के करीबी मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। गांधी परिवार के करीबी होने की वजह से खरगे चुनाव भी जीत गए।
बागी सचिन पायलट को मनाने में
साल 2020 में राजस्थान कांग्रेस के 20 विधायकों के साथ तत्कालीन डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने बगावत कर दी। सभी विधायक हरियाणा के मानेसर में जाकर बैठ गए। विधायकों के बागी होने से अशोक गहलोत की सरकार संकट में आ गई। अहमद पटेल के साथ मिलकर प्रियंका ने संकट को सुलझाने का जिम्मा लिया।
प्रियंका और पटेल के सक्रिय होते ही पायलट खेमा नरम पड़ गया। विधायक होटल से राजस्थान लौटने लगे और आखिर में सचिन पायलट अपनी मांगों को लेकर कांग्रेस कार्यालय पहुंचे। इसके बाद पार्टी ने गहलोत-पायलट के बीच समझौता कराया।
अमरिंदर को हटाकर चन्नी को सीएम बनाने में
पंजाब में चुनाव से पहले कांग्रेस विधायकों ने तत्कालीन सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। चुनावी साल में विधायकों की नाराजगी ने हाईकमान की टेंशन बढ़ा दी। इधर, दिग्गज नेता कैप्टन अमरिंदर सिंह भी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं थे। प्रियंका ने यहां भी मोर्चा संभाला और लगातार 10 जनपथ पर सोनिया के साथ मीटिंग की।
विधायकों की नाराजगी को देखते हुए कैप्टन ने इस्तीफा दे दिया। कैप्टन के इस्तीफे के बाद हाईकमान पर नए मुख्यमंत्री के चयन को लेकर भी दबाव बढ़ गया। बाद में प्रियंका ने राहुल के साथ मिलकर चन्नी को सीएम बनाने का फैसला किया। पंजाब में पहली बार किसी दलित को मुख्यमंत्री बनाया गया।
सुक्खू को सीएम की कुर्सी तक पहुंचाने में
40 साल से हिमाचल प्रदेश में होली लॉज यानी वीरभद्र परिवार का दबदबा था। इस बार भी जीत के बाद माना जा रहा था कि प्रतिभा सिंह को ही मुख्यमंत्री का जिम्मा मिलेगा। हालांकि आखिरी वक्त में वे सीएम रेस से बाहर हो गईं।
सुक्खू को राहुल गांधी के करीबी होने का फायदा मिला। विधायक भी उनके पक्ष में थे। हाईकमान ने सुक्खू के साथ ही मुकेश अग्निहोत्री को डिप्टी सीएम बनाने का भी फैसला किया है। इसे राज्य में ठाकुर-ब्राह्मण वोटरों के बीच संतुलन साधने के रूप में देखा जा रहा है।
मल्लिकार्जुन खड़गे के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद अब तक अपनी टीम की घोषणा नहीं की है। गांधी परिवार के 2 बड़े नेता सोनिया और राहुल उनकी टीम में नहीं होंगे। ऐसे में कयास लगाया जा रहा है कि प्रियंका गांधी उनकी टीम का हिस्सा जरूर होंगी।
संगठन में प्रियंका की नई भूमिका को लेकर अब भी कयास ही लगाए जा रहे हैं। अप्रैल में चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने अपने प्रजेंटेशन में प्रियंका को संगठन में कॉर्डिनेशन देने की बात कही थी। कांग्रेस में कॉर्डिनेशन का जिम्मा संगठन महासचिव के ऊपर होती है।