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रंगीन मछलियों का उत्पादन महिलाओं को आत्मनिर्भर बना सकता है: डा.यूके सरकार

महिलाए रंगीन मछली का उत्पादन कर धनकुट्टी ग्राम का माडल ग्राम बना सकती है और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकती है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

लखनऊ । महिलाए रंगीन मछली का उत्पादन कर धनकुट्टी ग्राम का माडल ग्राम बना सकती है और अपनी आर्थिक स्थिति को बेहतर कर सकती है। यह बात भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ के निदेशक डा. यू के सरकार ने मिशन नवशक्ति कार्यक्रम के तहत आज 50 महिलाओं को रंगीन मछली की पाठशाला कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कंही। उन्होंने सभी 50 प्रतिभागी महिलाओं को एक्वेरियत और उसमें लगनें वाली सामग्री का वितरण किया। उन्होने सभी 50 महिलाओं को एक्वेरियम बनाने में सहायक उपकरण भी सौंपे।

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बाराबंकी के मसौली अंतर्गत ग्राम धनकुट्टी में कार्यशाला के तीसरे और अंतिम दिन महिलाओें के गांव जा कर उनके समूह के आधार पर रंगीन मछलियों के छोटे और किफायती तालाब बनाने के लिए चिन्हित किया गया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ के मिशन नवशक्ति कार्यक्रम के तहत 50 महिलाओं को रंगीन मछली की पाठशाला कार्यक्रम के तीसरें और अतिंम दिन महिलाओं को मोली और गप्पी प्रजाति की मछलियों को पालने की जानकारी दी गयी। पाठशाला के दौरान मत्स्य विशेष़ज्ञ इंद्रमणि राजा ने महिलाओं से सीसे के एक्वेरियम बनाने और मछलियों को बिना दाम खर्च किये रखरखाव जी जानकारी दी। पाठशाला में इंद्रमणि राजा ने बताया कि रंगीन मछिलयोें के लिए कारोबारियों को बंगाल और तमिलनाडू पर आश्रित होना पड़ता है और अगर महिलाए अपने गांव में रंगीन मछलियों का विकास करें तो महिलाएं रंगीन मछलियों का उत्पादन का आर्थिक तौर पर मजबूत हो सकती है।

कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डा पूनम जयंत सिंह ने बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ की तरफ से इस प्रकार के कार्याक्रमों को आयोजित कर एससीएसटी समूह की महिलाओं को प्रशिक्षित कर उनके आत्मनिर्भरता को बढ़ाने के लिए इस प्रकार के प्रशिक्षण और भ्रमण को आयोजित किया जाता है। उन्होंने बताया कि रंगीन मछलियों का व्यापार बहुत बढ़ रहा है और महिलाएं इसको सीख कर अपनी आय को बढ़ा कर स्वय आत्मनिर्भर बन सकती है। कार्यक्रम के समापन में ग्राम धनकुट्टी में ब्रीडिग और फिश फार्म चलास रहे डा सुरेश चंद्र ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो लखनऊ निदेशक डा यू के सरकार, रवि कुमार,अमित बिष्ट, डा पूनम जंयत सिंह, गांव के प्रधान और मतलूब अहमद और अन्य सहयोगियों का धन्यवाद दिया।

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