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राहुल गांधी के साथ हमारा लेन-देन का रिश्ता नहीं , पार्टी के लिए कुछ करना हमारा कर्तव्य : Salman Khurshid

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Congress leader Salman Khurshid) ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हमारे नेता हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ हमारा लेन-देन का रिश्ता नहीं है। सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid)ने कहा कि पार्टी के लिए कुछ करना हमारा कर्तव्य है। यह परिपक्व नहीं है कि लंबे समय से पार्टी से जुड़े लोग इतनी छोटी सी बात छोड़ देते हैं।

By संतोष सिंह 
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नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद (Congress leader Salman Khurshid) ने शुक्रवार को कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) हमारे नेता हैं और रहेंगे। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के साथ हमारा लेन-देन का रिश्ता नहीं है। सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid)ने कहा कि पार्टी के लिए कुछ करना हमारा कर्तव्य है। यह परिपक्व नहीं है कि लंबे समय से पार्टी से जुड़े लोग इतनी छोटी सी बात छोड़ देते हैं।

उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि हम कहीं नहीं जा सकते, लेकिन हम नहीं जाएंगे और पार्टी के साथ रहेंगे। सलमान खुर्शीद (Salman Khurshid) ने कहा कि हम पार्टी के साथ इस देश का भविष्य देखते हैं और उम्मीद करते हैं कि पार्टी आगे बढ़ेगी।

कांग्रेस के दिग्गज नेता गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  के शुक्रवार को पार्टी से इस्तीफा देने पर राजस्थान के मुख्यमंत्री (Chief Minister of Rajasthan) अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि ग़ुलाम नबी आज़ाद के फ़ैसले और वक्तव्य को पढ़कर मुझे अफ़सोस हुआ है। अशोक गहलोत (Ashok Gehlot)  ने कहा कि कांग्रेस ने उनको सम्मान और पहचान दी। 42 साल से वह बिना पद के नहीं रहे। उनके शब्द अनुचित हैं, मेरी समझ से परे हैं।

आजाद के इस फैसले को अशोक गहलोत ने चौंकाने वाला बताया है।  एक 72 साल का व्यक्ति जिसे जिंदगी में सब कुछ मिला हो,  कहा  कि गुलाम नबी आजाद जैसा संदेश दे रहे हैं, वह समझ से परे है।

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गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad)  ने लिखा, कि दुर्भाग्य से राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की राजनीति में एंट्री के बाद और खासतौर पर जनवरी 2013 में कांग्रेस का उपाध्यक्ष बनने के बाद सलाह-मशविरे के साथ चलने की जो परंपरा थी, वह ध्वस्त हो गई। गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) ने कहा कि राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के आने के बाद सारे वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं को किनारे लगा दिया गया। उनकी जगह गैर-अनुभवी और चापलूस दरबारियों ने ले ली। यही नहीं इन्हीं लोगों के हाथों में पार्टी के मामलों की जिम्मेदारी भी सौंप दी गई। इसका अपरिपक्वता का बड़ा उदाहरण वह था, जब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मीडिया की मौजूदगी में सरकार के अध्यादेश को ही फाड़ दिया। उस अध्यादेश पर कांग्रेस के कोर ग्रुप में चर्चा हुई थी और कैबिनेट से मंजूरी भी दी गई थी। ऐसे बचकाना व्यवहार ने प्रधानमंत्री और भारत सरकार की गरिमा को ही कमजोर कर दिया था।

कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद (Congress leader Ghulam Nabi Azad) के इस्तीफे पर शुक्रवार को नेशनल कांफ्रेंस प्रमुख (National Conference Chief) फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हो सकता है उनको सम्मान नहीं मिल रहा होगा, पहले उस पर प्यार बरसा था। 32 नेताओं ने पत्र लिखे तो कांग्रेस हैरान रह गई, लेकिन ऐसा पहले भी हुआ है, कांग्रेस (Congress) और मजबूत हुई। देश को मजबूत विपक्ष की जरूरत है।

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फारूक अब्दुल्ला (Farooq Abdullah) ने कहा कि गुलाम नबी आजाद (Ghulam Nabi Azad) इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) के समय से कैबिनेट के मेम्बर थे। इस समय भी वे सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के बहुत करीबी थे।  मुझे बहुत अफसोस है कि ऐसा क्या हो गया कि आजाद को इतना बड़ा फैसला लेना पड़ा।

 

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