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राजस्थान: कांग्रेस में कलह के बाद अब बीजेपी में चली ‘वसुंधरा लाओ’ मुहिम, केंद्रीय नेतृत्व साधी चुप्पी

राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की कलह अभी ​थमी नहीं। इसके बीच यहां की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी में नेतृत्व की लड़ाई भी खुलकर सामने आ गई है। इस मामले में जहां प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ख़ामोशी ओढ़े हुई हैं, लेकिन उनके समर्थक खुलकर मैदान में उतर आए हैं। समर्थकों का कहना है कि वसुंधरा ही बीजेपी और बीजेपी ही वसुंधरा हैं।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी की कलह अभी ​थमी नहीं। इसके बीच यहां की मुख्य विपक्षी दल बीजेपी में नेतृत्व की लड़ाई भी खुलकर सामने आ गई है। इस मामले में जहां प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ख़ामोशी ओढ़े हुई हैं, लेकिन उनके समर्थक खुलकर मैदान में उतर आए हैं। समर्थकों का कहना है कि वसुंधरा ही बीजेपी और बीजेपी ही वसुंधरा हैं।

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पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल के बाद पूर्व मंत्री भवानी सिंह राजावत ने प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर इस जंग को धार दी है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से देश में बीजेपी के लिए प्रधानमंत्री मोदी हैं। उसी तरह से राजस्थान में बीजेपी के लिए वसुंधरा राजे हैं। राजस्थान में वसुंधरा राजे के अलावा किसी का चेहरा नहीं चलेगा। पूरी पार्टी वसुंधरा राजे के दम पर सत्ता में आयी थी अगर वसुंधरा नहीं होंगी तो बीजेपी सत्ता में नहीं आएगी। उन्होंने मौजूदा प्रदेश नेतृत्व के बारे में कहा कि इसमें किसी भी नेता के पास कोई दम नहीं है।

इनके बाद अब मैदान में पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी और पूर्व मंत्री रोहिताश शर्मा भी उतर आए हैं। उन्होंने कहा कि राजस्थान में मुख्यमंत्री के 15 उम्मीदवार बीजेपी में घूम रहे हैं जिन्हें कोई नहीं पूछता है। बीजेपी को अगर सत्ता में आना है तो वसुंधरा को ही लाना होगा वरना पार्टी ख़त्म हो जाएगी। वसुंधरा समर्थक एक दर्जन पूर्व सांसद और पूर्व विधायक मैदान में कूद पड़े हैं।

अचानक वसुंधरा समर्थकों के मोर्चेबंदी से राज्य का प्रदेश नेतृत्व हैरान है। नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि मुझे तो समझ में नहीं आ रहा है कि यह बेमौसम की बरसात क्यों शुरू हो गई है। अभी तो चुनाव होने में ढाई साल हैं। कटारिया ने कहा कि हमें लगता है कि हमारी पार्टी के कुछ नेता कांग्रेस के साथ मिलकर साज़िश कर रहे हैं। ताकि कांग्रेस के घर के अंदर के आंकड़े को बीजेपी के घर के अंदर के झगड़े से ढका जाए वरना यह कोई वक़्त नहीं है कि मुख्यमंत्री के उम्मीदवार की मांग की जाए। कटारिया ने कहा कि बीजेपी व्यक्ति आधारित पार्टी नहीं है। यह कार्यकर्ता आधारित पार्टी है और कोई भी व्यक्ति पार्टी से ऊपर नहीं हो सकता है?

इसके बाद विधायक मदन दिलावर ने मौजूदा प्रदेश नेतृत्व की तरफ़ से मोर्चा संभाला और कहा कि जो लोग वसुंधरा ही बीजेपी और बीजेपी ही वसुंधरा बता रहे हैं। वह बीजेपी विरोधी हैं उन्हें पता नहीं है कि वह पार्टी को कितना नुक़सान कर रहे हैं? यह सब बीजेपी में नहीं चल सकता है। अगर किसी को किसी व्यक्ति के पीछे चलना है तो उसे पार्टी छोड़नी होगी।

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प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया अचानक अपने ही नेताओं के हमले से परेशान हैं। उन्होंने कहा कि अनुशासनहीनता के बारे में केंद्रीय नेतृत्व को बताया जाएगा कि बीजेपी में मुख्यमंत्री पद पार्लियामेंट्री बोर्ड तय करता है, घर में बैठे नेता तय नहीं करते हैं। यह संगठन आधारित पार्टी है और यहां हर कार्यकर्ता बराबर की भूमिका में हैं।

उधर इस सब के बीच वसुंधरा राजे चुप्पी साधे हुए हैं । उनके समर्थक वसुंधरा मंच बनाकर संगठन का विस्तार कर रहे हैं। बीजेपी से हटकर अपने अलग-अलग कार्यक्रम चला रहे हैं। जानकारों का कहना है कि बीजेपी के इतिहास में राजस्थान में ऐसा पहली बार हो रहा है तो वहीं पार्टी का नेता संगठन, समानांतर संगठन बनाकर काम कर रहा है। मगर वसुंधरा की ताक़त को देखते हुए केंद्रीय नेतृत्व चुप्पी साधे हुए हैं।

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