गुझिया, पापड़ जैसे पकवान प्रतीक है इस त्यौहार की मस्ती और हुल्लड़ को बयां करने के लिए। उमंग और उल्लास के साथ भाईचारे के रंग बिखेरने वाला होली पर्व भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
नई दिल्ली: रंग और उमंग के साथ थोड़ी सी भंग, ये सब मिलकर भर देंगे होली के त्यौहार में रंग। अपने देश हर आयु वर्ग के लोग इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाते है। गुझिया, पापड़ जैसे पकवान प्रतीक है इस त्यौहार की मस्ती और हुल्लड़ को बयां करने के लिए। उमंग और उल्लास के साथ भाईचारे के रंग बिखेरने वाला होली पर्व भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है।
इस वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन महीने की पूर्णिमा को होली मनाई जाती है। वहीं, ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार, यह त्योहार हर साल मार्च के महीने में आता है। इस बार होलिका दहन 28 मार्च और रंगों वाली होली 29 मार्च सोमवार के दिन मनाई जाएगी। देश के कई हिस्सों में होली के त्योहार की शुरुआत बसंत ऋतु के आगमन के साथ ही हो जाती है। मथुरा, वृंदावन, गोवर्धन, गोकुल, नंदगांव और बरसाना की होली तो बेहद मशहूर हैं। बरसाना की लट्ठमार होली का आनंद तो देखते ही बनता है।
होली से एक दिन पहले जगह-जगह होलिका का दहन किया जाता है और रंग गुलाल उड़ाकर खुशियां बांटी जाती हैं। होलिका दहन के अगले दिन हर गली-मोहल्ले में रंगों का त्योहार धूमधाम से मनाया जाता है। यह त्योहार बताता है कि बुराई कितनी भी ताकतवर क्यों न हो वो अच्छाई के सामने टिक ही नहीं सकती।
होलिका दहन के अगले दिन होली का मुख्य त्योहार मनाया जाता है, जिसे रंगों भरी होली कहते हैं। इस दिन लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल का टीका लगाते हैं और गले मिलते है। छोटे बच्चे पिचकारी, गुब्बारों और पानी से होली खेलते हैं. पूरा घर-मोहल्ला, गुझिया, चाट-पकौड़ी और ठंडाई की खुशबू से महक उठता है। इस दौरान लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं और साथ में होली खेलते हैं।