नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक ने 35 बेसिस पॉइंट की बढ़ोतरी कर दी है। बैंक ने लगातार पांचवीं बार रेपो रेट को बढ़ाया है। इसके बाद से रेपो रेट बढ़कर 6.25 फीसदी पहुंच गया है। जिसके बाद से रेपो रेट में 2.25 फीसदी बढ़ोतरी की गई है। आरबीआई ने महंगाई (inflation) में कमी लाने के लिए रेपो रेट में यह बढ़ोतरी की है।
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बताया जा रहा है कि रेपो रेट बढ़ने के कारण कई लोनों में बढ़होत्तरी कर दिया गया है लेकिन इस फैसले से फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में निवेश करने वालों को फायदा होगा। इस का आदेश आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक में लिए गया है। 30 सितंबर को पिछले पॉलिसी स्टेटमेंट में इसके सात फीसदी रहने का अनुमान जताया गया था।
रेपो रेट क्या होता है
अब हम आप को बताएंगे आखिर क्या होता है रेपो रेट। रेपो रेट एक प्रमुख ब्याज दर होता है जो प्रमुख ब्याज के नाम से जाना जाता है। रेपो रेट वह दर होती है। जिस पर कमर्शियल बैंक आरबीआई से पैसा उधार लेते हैं। जब बैंकों के लिए उधारी महंगी हो जाती है, तो वे इसका बोझ ग्राहकों पर डालते हैं और अधिक रेट पर लोन देते हैं। कहा जाता है कि रेपो बढ़ने पर होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) महंगा हो जाता है।
कब-कब बढ़ा रेपो रेट
आरबीआई ने इस साल चार मई को रेपो रेट में 0.4 फीसदी, 8 जून को 0.5 फीसदी, 5 अगस्त को 0.5 प्रतिशत और 30 सितंबर को 0.5 फीसदी की बढ़ोतरी की थी। महंगाई को काबू करने के लिए आरबीआई रेपो रेट बढ़ाता है। आरबीआई मॉनीटरी पॉलिसी को तय करने के लिए सीपीआई (CPI) यानी कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स पर गौर करता है।