भारत की स्वदेशी वैक्सीन ‘COVAXIN’ को जल्द ही WHO की मंजूरी दे सकता है। देश में कोवैक्सिन का निर्माण कर रही कंपनी भारत बायोटेक ने 19 जून को WHO को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) भेजा था। इसे WHO ने स्वीकार कर लिया है, अब 23 जून को भारत बायोटेक और WHO की प्री-सबमिशन मीटिंग होनी है।
नई दिल्ली। भारत की स्वदेशी वैक्सीन ‘COVAXIN’ को जल्द ही WHO की मंजूरी दे सकता है। देश में कोवैक्सिन का निर्माण कर रही कंपनी भारत बायोटेक ने 19 जून को WHO को एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (EOI) भेजा था। इसे WHO ने स्वीकार कर लिया है, अब 23 जून को भारत बायोटेक और WHO की प्री-सबमिशन मीटिंग होनी है।
बता दें कि कोवैक्सिन को आईसीएमआर और भारत बायोटेक ने मिलकर विकसित किया है। अब WHO की लिस्ट में कोवैक्सिन के शामिल होने का रास्ता साफ हो गया है। कोवैक्सिन फिलहाल WHO की लिस्ट में शामिल नहीं है, जिसके चलते इस वैक्सीन को लगवाने वाले लोग कुछ देशों की यात्रा नहीं कर पा रहे हैं। अब इस प्रक्रिया के साफ हो जाने से विदेशों की यात्रा करने वालों के लिए भी राहत की खबर है। भारत में इस वक्त दो वैक्सीन लगाई जा रही हैं, जिनमें से एक स्वदेशी कोवैक्सिन और दूसरी कोविशील्ड है।
COVAXIN के 9 रिसर्च पेपर हो चुके हैं प्रकाशित
भारत बायोटेक ने हाल ही में कहा था कि उसके द्वारा विकसित स्वदेशी कोविड-19 वैक्सीन कोवैक्सिन के साइंटिफिक स्टैंडर्ड और कमिटमेंट पारदर्शी हैं, अबतक कंपनी टीके की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर नौ रिसर्च पेपर प्रकाशित कर चुकी है। भारत बायोटेक की को-फाउंडर और जॉइंट मैनेजिंग डायरेक्टर सुचित्रा इला ने ट्वीट करते हुए कहा था कि ‘कोवैक्सिन के साइंटिफिक स्टैंडर्ड और कमिटमेंट पारदर्शी है। अकादमिक जर्नल, प्रमुख समीक्षकों, एनआईवी-आईसीएमआर-बी बी अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने नौ स्टडी और आंकड़े प्रकाशित किए हैं।
भारत बायोटेक ने बयान में कहा था कि भारत के रेगुलेटर्स ने कोवैक्सिन वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण में हुए ट्रायल के संपूर्ण आंकड़ों और तीसरे चरण के आंशिक आंकड़ों की समीक्षा गहनता से की है। बयान में कहा गया, कि‘ समयबद्ध श्रेष्ठ समीक्षा के लिए कंपनी पहले ही कोवैक्सिन की सुरक्षा और प्रभाव को लेकर 12 महीने में नौ अनुसंधान अध्ययन वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठित पांच श्रेष्ठ समीक्षा जर्नल में प्रकाशित करा चुकी है। कंपनी ने कहा कि कोवैक्सिन एकमात्र पूरी तरह से निष्क्रिय कोरोना वायरस आधारित वैक्सीन है जिसने भारत में इंसानों पर हुए ट्रायल के आंकड़े प्रकाशित किए हैं।