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वक्फ विधेयक पर जेपीसी की बैठक में हंगामा, असदुद्दीन ओवैसी समेत 10 विपक्षी सांसद दिनभर के लिए समिति की सदस्यता से निलंबित

वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर संसदीय समिति (JPC) की बैठक शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। हंगामा थमता न देख समिति के 10 सांसदों को पूरे दिन के लिए कमेटी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें मसौदा कानून में प्रस्तावित बदलावों का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है।

By संतोष सिंह 
Updated Date

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक (Waqf Amendment Bill) पर संसदीय समिति (JPC) की बैठक शुक्रवार को जमकर हंगामा हुआ। हंगामा थमता न देख समिति के 10 सांसदों को पूरे दिन के लिए कमेटी की सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। इससे पहले बैठक के दौरान विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें मसौदा कानून में प्रस्तावित बदलावों का अध्ययन करने के लिए पर्याप्त समय नहीं दिया जा रहा है। आज भाजपा सांसद जगदंबिका पाल (BJP MP Jagdambika Pal) की अध्यक्षता वाली जेपीसी कश्मीर के मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल के विचार सुनने वाली थी।

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सभी 10 विपक्षी सांसद दिनभर के लिए निलंबित

बैठक में हुए हंगामे के बाद वक्फ संशोधन विधेयक 2024 (Waqf Amendment Bill 2024) पर संयुक्त संसदीय समिति की बैठक से सभी 10 विपक्षी सांसदों को दिनभर के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित विपक्षी सांसदों में कल्याण बनर्जी, मोहम्मद जावेद, ए राजा, असदुद्दीन ओवैसी, नासिर हुसैन, मोहिबुल्लाह, एम अब्दुल्ला, अरविंद सावंत, नदीमुल हक, इमरान मसूद शामिल हैं।

बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने पेश किया निलंबन प्रस्ताव

भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे (BJP MP Nishikant Dubey) ने विपक्षी सदस्यों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया। इसे समिति ने स्वीकार कर लिया। भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी (BJP MP Aparajita Sarangi) ने दावा किया कि विपक्षी सदस्यों का आचरण शर्मनाक था, क्योंकि वे बैठक के दौरान लगातार हंगामा कर रहे थे और असंसदीय भाषा का इस्तेमाल कर रहे थे।

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मीरवाइज को बुलाने से पहले चर्चा में हंगामा

मीरवाइज को बुलाने से पहले समिति के सदस्यों ने आपस में चर्चा की और इसी दौरान विपक्षी नेताओं के साथ बैठक में हंगामा हो गया। विपक्षी सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव को देखते हुए भाजपा वक्फ संशोधन विधेयक पर रिपोर्ट को जल्द स्वीकार करने पर जोर दे रही है। बैठक के दौरान तीखी बहस के कारण कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित कर दी गई। मीरवाइज के नेतृत्व वाला प्रतिनिधिमंडल समिति की बैठक फिर से शुरू होने के बाद उसके सामने पेश हुआ।

आरोप-प्रत्यारोप का दौर

तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी (Trinamool Congress MP Kalyan Banerjee) और कांग्रेस के सैयद नासिर हुसैन बैठक से बाहर निकल आए। उन्होंने कहा कि समिति की कार्यवाही तमाशा बन गई है। उन्होंने मांग की कि प्रस्तावित संशोधनों पर खंडवार विचार करने के लिए 27 जनवरी को होने वाली बैठक को 30 जनवरी या 31 जनवरी तक के लिए टाल दिया जाए। निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने विपक्षी सदस्यों की आलोचना करते हुए कहा कि उनका आचरण संसदीय परंपरा के खिलाफ है और वे बहुमत की आवाज को दबाने की कोशिश कर रहे हैं।

मीरवाइज ने क्या कहा?

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समिति के समक्ष पेश होने से पहले मीरवाइज ने कहा कि वह वक्फ संशोधन विधेयक का कड़ा विरोध करते हैं और धर्म के मामलों में सरकार के हस्तक्षेप नहीं करने का समर्थन करते हैं। हमें उम्मीद है कि हमारे सुझावों को सुना जाएगा और उन पर अमल किया जाएगा। ऐसा कोई कदम नहीं उठाया जाए, जो मुसलमानों को बसहज महसूस कराए। यह पहली बार है, जब लगभग निष्क्रिय हो चुके अलगाववादी समूह हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख मीरवाइज ने पूर्ववर्ती जम्मू कश्मीर राज्य का विशेष दर्जा समाप्त होने के बाद कश्मीर घाटी से बाहर कदम रखा है।

अघोषित आपातकाल जैसा माहौल: बनर्जी

कल्याण बनर्जी (Trinamool Congress MP Kalyan Banerjee) ने कहा कि बैठक में अघोषित आपातकाल (Undeclared Emergency) जैसा माहौल चल रहा है। सभापति इस बैठक को आगे बढ़ा रहे हैं और वह किसी की नहीं सुन रहे हैं। हमें बताया गया था कि 24 और 25 जनवरी को बैठक होगी। अब आज की बैठक के लिए एजेंडे को खंड दर खंड चर्चा से बदल दिया गया है।

निशिकांत दुबे ने ओवैसी को घेरा

निशिकांत दुबे (Nishikant Dubey) ने कहा कि विपक्ष के लोगों खासकर ओवैसी साहब की सोच है कि हमने जम्मू-कश्मीर का पूरा प्रतिनिधित्व नहीं सुना और मीरवाइज उमर फारूक को बुलाया। उन्हें सुनने के लिए ही जेपीसी अध्यक्ष ने बैठक स्थगित कर दी और खंडवार चर्चा की। आज विपक्ष की सोच और नजरिया उजागर हो गया है। उन्होंने मीरवाइज के सामने हंगामा किया और बदसलूकी की। यह संसदीय लोकतंत्र के खिलाफ है।

उन्होंने कहा कि अगर आज और कल खंडवार चर्चा के लिए बैठक होती भी तो 27 जनवरी या 28 जनवरी को एक और बैठक होती। 27 जनवरी के लिए पहले से ही बैठक तय थी। विपक्ष बहुमत की आवाज को दबाना चाहता है। ज्यादातर सदस्यों ने 27 जनवरी को बैठक करने का सुझाव दिया है। 29 जनवरी को हम अध्यक्ष को रिपोर्ट सौंपेंगे। जब भी मैंने जेपीसी (JPC) में बोलने के लिए माइक लिया है, विपक्ष ने हमेशा मेरी आवाज को दबाने की कोशिश की है।

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