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Rudraksh : बीमारियों से मुक्त होने के लिए धारण करें रुद्राक्ष, भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है

सनातन धर्म में भगवान शिव को जगत का आधार कहा जाता है। धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की महिमा के बारे में बताया गया है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Rudraksh : सनातन धर्म में भगवान शिव को जगत का आधार कहा जाता है। धर्म ग्रंथों में भगवान शिव की महिमा के बारे में बताया गया है। सरल स्वभाव और भक्तों पर शीघ्र कृपा करने वाले भगवान शिव के प्रसाद के रूप में रुद्राक्ष को स्वीकार किया जाता है। वैज्ञानिक शोधों के आधार पर रुद्राक्षके अद्भुद गुणों का वर्णन मिलता है। रुद्राक्ष के चुंबकीय प्रभाव के कारण रुद्राक्ष शरीर की अवरूद्ध धमनियों और नसों में रूकावट को दूर करता है ।

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इसे विधि-विधान से इसे धारण करना परम लाभकारी है। रुद्राक्ष वृक्ष और फल दोनों ही पूजनीय हैं। मानव के अनेकों रोग, शोक, बाधा नष्ट करने की शक्ति रुद्राक्ष में है। रुद्राक्ष एक मुखी से लेकर चौदह मुखी तक प्रमुख होते हैं। इनके अलावा भी कई तरह के विशेष रुद्राक्ष पाए जाते हैं। अलग-अलग बीमारियों पर अलग-अलग मुखीरुद्राक्ष का प्रयोग किया जाता है।

1.एक मुखी रुद्राक्ष के  मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। इसे धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है। लक्ष्मी की कृपा होती है।

2.दो मुखी रुद्राक्ष का संबंध पेट के रोगों से है। गैस प्रॉब्लम, एसिडिटी में दोमुखी रुद्राक्ष असरकारक है।

3.चार मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता ब्रह्मा हैं और यह बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है। इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है। यह मानसिक रोग, बुखार, पक्षाघात, नाक की बीमारी में भी लाभप्रद है।

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