संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में यूक्रेन पर किए गए हमले के विरोध में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर आज वोटिंग हुई। इस वोटिंग से जहां भारत खुद को अलग रखा। तो वहीं रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को गिरा दिया। रूस ने भारत के स्टैंड के लिए धन्यवाद दिया है। तो अमेरिका ने भी कहा कि भारत के इस कदम से हमें कोई दिक्कत नहीं है।
नई दिल्ली। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद UNSC में यूक्रेन पर किए गए हमले के विरोध में रूस के खिलाफ लाए गए निंदा प्रस्ताव पर आज वोटिंग हुई। इस वोटिंग से जहां भारत खुद को अलग रखा। तो वहीं रूस ने वीटो का इस्तेमाल कर इस प्रस्ताव को गिरा दिया। रूस ने भारत के स्टैंड के लिए धन्यवाद दिया है। तो अमेरिका ने भी कहा कि भारत के इस कदम से हमें कोई दिक्कत नहीं है।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कहा कि भारत के रूस के साथ संबंध, अमेरिका और रूस के बीच संबंधों से अलग है। इसमें परेशानी की कोई बात नहीं है। अमेरिका ने कहा कि उसने रूस के साथ संबंध रखने वाले हर देश से नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को सुरक्षित रखने में अपने प्रभाव का इस्तेमाल करने को कहा है।
विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा कि भारत के साथ अमेरिका के अहम हित और मूल्य जुड़े हुए हैं। प्राइस ने शुक्रवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा कि भारत के साथ हमारे अहम हित जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि हम भारत के साथ अहम मूल्य साझा करते हैं। हम जानते हैं कि भारत के रूस के साथ संबंध उन संबंधों से अलग हैं जो हमारे और रूस के बीच हैं। सही में इसमें कोई परेशानी की बात नहीं है।
एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि भारत के रूस के साथ मजबूत रिश्ते हैं, जो हमारे यकीनन नहीं हैं। भारत और रूस के बीच रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में संबंध हैं, जो हमरे बीच नहीं हैं। हमने प्रत्येक देश से कहा है कि जिनके संबंध हैं और जो लाभ ले सकते हैं वे उसका इस्तेमाल रचनात्मक तरीके से करें।
बता दें कि रूस का पूर्वी यूक्रेन में हमले जारी है। इस हमलों के लिए रूस की चौतरफा आलोचना हो रही है। अमेरिका सहित कई देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए हैं। प्राइस ने कहा कि अमेरिका की भारत के साथ व्यापक रणनीति साझेदारी है।
जानें क्या है भारत की नीति?
वोटिंग से दूर रहने के पीछे भारत की रणनीति का भी हिस्सा है। रूस और अमेरिका से बेहतर संबंध को देखते हुए भारत चाहे तो मॉस्को और वाशिंगटन और बातचीत के लिए एक जगह बैठा सकता है। इसके साथ ही भारत सीधे-सीधे किसी एक पक्ष को यूक्रेन मसले पर सपोर्ट करने से बचता रहा है, क्योंकि भारत के दोनों पक्षों से बेहतर संबंध हैं।