पूर्व कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद (salman khurshid) की किताब Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times सामने आने की वजह से वो विवादों में नजर आ रहें हैं। दरअसल, किताब में खुर्शीद ने हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से कर डाली।
नई दिल्ली: पूर्व कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद (Salman khurshid) की किताब Sunrise Over Ayodhya: Nationhood in Our Times सामने आने की वजह से वो विवादों में नजर आ रहें हैं। दरअसल, किताब में खुर्शीद ने हिन्दुत्व की तुलना आतंकी संगठन ISIS और बोको हराम से कर डाली।
दरअसल इस पेज को भाजपा के आईटी हेड अमित मालवीय (BJP IT Head Amit Malviya) ने भी ट्वीट किया है। विवेक गर्ग नाम के वकील ने सलमान खुर्शीद (salman khurshid) के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद (Salman khurshid) की पुस्तक ‘सनराइज ओवर अयोध्या’ के विमोचन के मौके पर कहा कि ‘हिंदुत्व’ शब्द का हिंदू धर्म और सनातनी परंपराओं से कोई लेनादेना नहीं है। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (Rashtriya Swayamsevak Sangh) और भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि देश में हिन्दू खतरे में नहीं हैं, बल्कि ‘फूट डालो और राज करो’ की मानसिकता खतरे में है।
Congress’s Salman Khurshid in his new book writes that Hindutva is similar to the jihadist Islamist groups like ISIS and Biko Haram.
What else can we expect from someone whose party coined the term Saffron terror just to draw equivalence with Islamic jihad, to get Muslim votes? pic.twitter.com/3OikNQJ3qt
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— Amit Malviya (@amitmalviya) November 10, 2021
दिग्विजय सिंह ने कहा कि इस देश के इतिहास में धार्मिक आधार पर मंदिरों का विध्वंस भारत में इस्लाम आने के पहले भी होता रहा है। इसमें दो राय नहीं है कि जो राजा दूसरे राजा के क्षेत्र को जीतता था, तो अपने धर्म को उस राजा के धर्म पर तरजीह देने की कोशिश करता था। अब ऐसा बता दिया जाता है कि मंदिरों की तोड़फोड़ इस्लाम आने के साथ शुरू हुई।
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि का विवाद कोई नया विवाद नहीं था। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद, आरएसएस ने इसे कभी मुद्दा नहीं बनाया। जब 1984 में वो दो सीटों पर सिमट गए तो इसे मुद्दा बनाने का प्रयास किया। उस समय अटल बिहारी वाजपेयी का गांधीवादी समाजवाद विफल हो गया था। इसने उन्हें कट्टर धार्मिक रास्ते पर चलने के लिए मजबूर कर दिया। आडवाणी की रथयात्रा समाज को तोड़ने वाली यात्रा थी। जहां गए वहां नफरत का बीज बोते चले गए थे।’