यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने संभल में शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid in Sambhal) और उसके पास मौजूद कुएं को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल (Status Report Filed) कर दी है। यूपी सरकार (UP Government) ने मस्जिद इंतेजामिया कमेटी (Masjid Intezamia Committee) के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें कुएं को मस्जिद की प्रॉपर्टी बताया गया था।
नई दिल्ली। यूपी की योगी सरकार (Yogi Government) ने संभल में शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid in Sambhal) और उसके पास मौजूद कुएं को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल (Status Report Filed) कर दी है। यूपी सरकार (UP Government) ने मस्जिद इंतेजामिया कमेटी (Masjid Intezamia Committee) के उस दावे को खारिज किया है, जिसमें कुएं को मस्जिद की प्रॉपर्टी बताया गया था। यूपी सरकार (UP Government) ने कहा कि संभल की शाही जामा मस्जिद भी सरकारी जमीन पर बनाई गई है। मस्जिद के पास मौजूद कुआं भी सरकारी जमीन पर है। खुद मस्जिद कमेटी (Masjid Committee) ने गलत फोटो पेश करके अदालत को गुमराह करने की कोशिश की है।
प्रशासन फिर से 19 कुओं को कर रहा जीवित
रिपोर्ट में सरकार ने कहा, लंबे वक्त से इए कुएं का इस्तेमाल सभी समुदाय के लोग करते रहे हैं। हालांकि इस समय कुएं में पानी नहीं है। 1978 में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद इस कुएं के हिस्से पर पुलिस चौकी बना दी गई थी। कुएं का दूसरा हिस्सा 1978 के बाद भी इस्तेमाल होता रहा। 2012 के आसपास इस कुएं को ढंक दिया गया। मस्जिद कमेटी(Masjid Committee) प्रयास कर रही है कि सार्वजनिक कुएं पर उसका अधिकार हो जाए। यह कुआं उन 19 कुओं में शामिल है, जिनका संभल जिला प्रशासन (Sambhal District Administration) पुनरुद्धार करने में जुटा है। इन प्राचीन कुओं का पुनरुद्धार किया जा रहा है।
मस्जिद कमेटी संभल रोक रही विकास
यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से कहा, प्रशासन को कठघरे में खड़ा करना और सवाल उठाना गलत है। मस्जिद कमेटी इलाके के विकास को रोकने की कोशिश कर रही है। इस तरह के सरकारी कुओं को सार्वजनिक इस्तेमाल से रोकना ठीक नहीं होगा। ऐतिहासिक रूप से ये क्षेत्र काफी अहमियत रखती है। मस्जिद समिति (Masjid Committee) कोर्ट में याचिका लगाकर पुनरुद्धार की प्रक्रिया को रोकना चाहती है। उसका यह प्रयास संभल के विकास और पर्यावरण के लिए भी खतरा है। मस्जिद समिति के आवेदन को रद्द किया जाना चाहिए।
सरकार बोली- हम शांति और सद्भाव के लिए प्रतिबद्ध
राज्य सरकार ने कहा कि हम संभल में शांति और सद्भाव बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। कुओं के जनता के उपयोग पर कोई रोक उचित नहीं है। बड़े पैमाने पर समुदाय की ओर से कुओं की मांग की जा रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने 10 जनवरी को संभल के प्रशासन को विवादित कुएं वाले हिस्से को लेकर किसी भी तरह के फैसले लेने पर रोक लगाई थी। शाही जामा मस्जिद (Shahi Jama Masjid) के इस कुएं वाला हिस्सा आधा मंदिर के अंदर और आधा बाहर है। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले में सामाजिक सौहार्द रखने पर जोर देने की बात कही थी। दरअसल, कुएं पर नगर पालिका ने अपना दावा ठोका था। पूजा-पाठ की इजाजत दे दी थी। मस्जिद कमेटी इसके खिलाफ 9 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) गई थी। चीफ जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने मस्जिद कमेटी की याचिका पर फैसला सुनाया था। सरकार को नोटिस देकर जवाब मांगा था।
19 नवंबर को हुआ था जामा मस्जिद का सर्वे
जामा मस्जिद (Jama Masjid) को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि ये पहले हरिहर मंदिर था, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। इसे लेकर 19 नवंबर 2024 को संभल कोर्ट में याचिका दायर हुई। उसी दिन सिविल जज सीनियर डिवीजन आदित्य सिंह ने मस्जिद के अंदर सर्वे करने का आदेश दिया। कोर्ट ने रमेश सिंह राघव को एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किया। उसी दिन शाम को चार बजे सर्वे के लिए टीम मस्जिद पहुंच गई। 2 घंटे के सर्वे किया। हालांकि उस दिन सर्वे पूरा नहीं हुआ। इसके बाद 24 नवंबर को सर्वे की टीम जामा मस्जिद पहुंची। दोपहर में मस्जिद के अंदर सर्वे हो रहा था। इस दौरान भारी संख्या में लोग जुट गए। भीड़ ने पुलिस की टीम पर पत्थर फेंके। इसके बाद हिंसा भड़क गई। इसमें गोली लगने से 4 लोगों की मौत हो गई।
सर्वे रिपोर्ट 2 जनवरी को हुई थी दाखिल
2 जनवरी को संभल में शाही जामा मस्जिद की 45 पन्नों की सर्वे रिपोर्ट चंदौसी कोर्ट में दाखिल कर दी गई थी। 4.5 घंटे की वीडियोग्राफी और 1200 से अधिक फोटो भी अदालत को दिए गए। इसमें दावा किया गया कि जामा मस्जिद (Jama Masjid) में मंदिर होने के सबूत मिले हैं। मस्जिद में 50 से अधिक फूल, निशान और कलाकृतियां मिली हैं। अंदर 2 वट वृक्ष हैं। हिंदू धर्म में वट वृक्ष की पूजा की जाती है। एक कुआं है, उसका आधा हिस्सा मस्जिद के अंदर और आधा हिस्सा बाहर है। बाहर वाले हिस्से को ढंक दिया गया है। पुराने ढांचे को बदला गया है। जिन जगहों पर पुराने ढांचे हैं, वहां नए निर्माण के सबूत मिले हैं। मंदिर वाले स्ट्रक्चर जैसे- दरवाजे, झरोखों और अलंकृत दीवारों पर प्लास्टर लगाकर पेंट कर दिया गया है। मस्जिद के भीतर जहां बड़ा गुंबद है, उस पर झूमर को तार से बांधकर एक चेन से लटकाया गया है। ऐसी चेन का इस्तेमाल मंदिरों में घंटों को लटकाने में किया जाता है।
हिंदू पक्ष का संभल की जामा मस्जिद की जगह मंदिर होने का दावा
हिंदू पक्ष काफी वक्त से संभल की जामा मस्जिद (Jama Masjid) की जगह पर पहले मंदिर होने का दावा कर रहा है। 19 नवंबर को 8 लोग मामले को लेकर कोर्ट पहुंचे और एक याचिका दायर की। इनमें सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के वकील हरिशंकर जैन और उनके बेटे विष्णुशंकर जैन प्रमुख हैं। ये दोनों ताजमहल, कुतुब मीनार, मथुरा, काशी और भोजशाला के मामले को भी देख रहे हैं। इनके अलावा याचिकाकर्ताओं में वकील पार्थ यादव, केला मंदिर के महंत ऋषिराज गिरी, महंत दीनानाथ, सामाजिक कार्यकर्ता वेदपाल सिंह, मदनपाल, राकेश कुमार और जीतपाल यादव का नाम शामिल है। हिंदू पक्ष का दावा है कि ये जगह पहले श्रीहरिहर मंदिर हुआ करती थी, जिसे बाबर ने 1529 में तुड़वाकर मस्जिद बनवा दिया। संभल कोर्ट में हिंदू पक्ष ने याचिका लगाई। 95 पेज की याचिका में हिंदू पक्ष ने दो किताब और एक रिपोर्ट को आधार बनाया है। इनमें बाबरनामा(Baburnama), आइन-ए-अकबरी किताब (Ain-e-Akbari book) और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की 150 साल पुरानी एक रिपोर्ट शामिल है।