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Sankashti Chaturthi Vrat : इस दिन पड़ रही है संकष्टी चतुर्थी,  भक्तों को ये सामग्री अर्पित करना चाहिए

सनातन धर्म में प्रथम पूज्य देवता श्री भगवान गणेश जी महाराज को रिद्धि सिद्धि का देवता कहा जाता ​है।

By अनूप कुमार 
Updated Date

Sankashti Chaturthi Vrat: सनातन धर्म में प्रथम पूज्य देवता श्री भगवान गणेश जी महाराज को रिद्धि सिद्धि का देवता कहा जाता ​है। ग्रह मंडल में गणेश भगवान को राजकुमार भी कहा जाता है। इनको जगत में कई नामों से जाना जाता है। गणपति ,गजानन, सिद्धि विनायक , लंबोदर , गणनायक और विभिन्न नामों से इनकी पूजा होती है। उन्हें बुद्धि का देवता भी कहा जाता है।

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व्रत त्योहार की श्रृंखला में प्रत्येक माह की चतुर्थी तिथि के दिन संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। इस बार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 9 अप्रैल 2023, रविवार के दिन पड़ रही है और इसे विकट संकष्टी चतुर्थी नाम दिया गया है।

पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत 09 अप्रैल दिन रविवार को सुबह 09 बजकर 35 मिनट से हो रही है। इसका समापन 10 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगा। 09 अप्रैल को चंद्रोदय का समय प्राप्त हो रहा है, इसलिए  संकष्टी चतुर्थी का व्रत भी इसी दिन रखा जाएगा।

भगवान गणेश को प्रसन्न करने के लिए भक्त गण पूजा अर्चना करते है। मोदक का भोग लगाकर भगवान को प्रसन्न किया जाता है। संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने के लिए भक्तों को कुछ नियम का पालन करना पड़ता है। गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित किया जाता है।’ॐ गं गणपतये नमः’ मंत्र का जाप करते हुए भगवान गणेश को प्रसन्न करें। इसके उपरांत एक केले का पत्ता लें, इस पर आपको रोली से चौक बनाएं। चौकी के अग्र भाग पर घी का दीपक रखें। इसके बाद विकट संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा पढ़ें।

संकष्टी चतुर्थी के दिन घर में पूजा करने से नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं । घर की सारी परेशानियां दूर होती हैं। गणेश जी भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं। इस दिन चंद्रमा को देखना भी शुभ माना जाता है। सूर्योदय से शुरू होने वाला संकष्टी व्रत चंद्र दर्शन के बाद ही समाप्त होता है।

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