सावन में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करने का विशेष फल प्राप्त होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सावन मास में प्रकृति सृजन और श्रृंगार करती है। मौसम सुखद रखता और चारो तरफ हरियाली की चादर दिखती है।
Sawan special Diet Plan : सावन में भगवान भोलेनाथ की विशेष पूजा अर्चना करने का विशेष फल प्राप्त होता है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सावन मास में प्रकृति सृजन और श्रृंगार करती है। मौसम सुखद रखता और चारो तरफ हरियाली की चादर दिखती है। सावन के मौसम में खाने पीने पर विशेष ध्यान देना आवश्यक होता है। आयुर्वेद में सावन मास में खानपान की सावधानियों के बारे में विस्तृत रूप से बताया गया है।
आर्युवेद के अनुसार, सावन मास में दूध या दही से बनी किसी भी चीज का सेवन नहीं करना चाहिए। ऐसा करने से कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। विशेषकर पाचन तंत्र पर इसका विशेष प्रभाव पड़ता है। साथ ही कच्चे दूध का सेवन करने से भी बचना चाहिए। आयुर्वेद के अनुसार बारिश के मौसम में दही के अलावा कहटल,अरबी, बैंगन, छोले, राजमा और सभी प्रकार के नॉन-वेज पदार्थों से दूरी बना लेनी चाहिए।
इसी प्रकार सावन मास में कढ़ी का सेवन करने की मनाही है। सावन में साग का सेवन इसलिए नहीं करना चाहिए।विज्ञान में भी बरसात के दिनों में इन चीजों का सेवन नहीं करने को कहा गया है क्योंकि इस दौरान डाइजेस्टिव सिस्टम सेंसेटिव होता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो सावन में घास चरते समय गाय और भैंस घास में मौजूद कीड़ों को भी खा लेती हैं, जिससे दूध दूषित हो जाता है। ऐसे में सावन के दौरान कच्चा दूध पीने से बचना चाहिए।