सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पूरे माह में भगवान की परिवार सहित पूजा, अर्चना की जाती है। भगवान शिव की कृपा इस पूरे माह में बरसती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखा जाता है।
Sawan Somwar Vrat 2022: सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। इस पूरे माह में भगवान की परिवार सहित पूजा, अर्चना की जाती है। भगवान शिव की कृपा इस पूरे माह में बरसती है। पौराणिक मान्यता के अनुसार सावन में पड़ने वाले सोमवार को व्रत रखा जाता है। सप्ताह में सोमवार का दिन भगवान शिव को समर्पित है। इस दिन विधि विधान से भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से सभी मनोकामना पूर्ण होती है। कुंवारी कन्यायें मनाचाहे जीवनसाथी को पाने के लिए सावन माह में पड़ने वाले सभी सोमवार का व्रत रखती है। कुछ शिवभक्त इस दिन निराजल व्रत भी रखते है। सावन के सोमवार को विवाह से जुड़ी परेशानियों को दूर करने और वैवाहिक जीवन के लिए बेहद खास माना जाता है। अगर कुंडली में विवाह का योग न हो या विवाह होने में दिक्कतें आ रही हों तो सावन के सोमवार पर पूजा करनी चाहिए। अगर कुंडली में आयु या स्वास्थ्य बाधा हो या मानसिक स्थितियों की समस्या हो तब भी सावन के सोमवार की पूजा उत्तम होती है। आईये जानते हैं कुछ उपाय जो सावन के सोमवार को किया जाता है।
इस साल सावन माह का पहला सोमवार व्रत 18 जुलाई को है। पंचांग के अनुसार, इस दिन सावन माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है। षष्ठी तिथि का प्रारंभ 17 जुलाई को रात 11 बजकर 24 मिनट पर हो रहा है और इसका समापन 18 जुलाई को रात 10 बजकर 19 मिनट पर होगा। इस बार सवन के पहले सोमवार को बहुत ही सुंदर योग रवि योग बन रहा है।
साावन के सोमवार व्रत का पालन करने के लिए व्रतधारी को प्रात: काल स्ननान करके शुद्ध होना चाहिए। पूजा की थाली सजा कर शिवालय में जाकर भगवान के शिवलिंग पर जलाभिषेक करिना चाहिए। भगवान शिव की पूजा में उनकी पसदंद की वस्तुओं को रखना चाहिए। सावन में भोले नाथ के भक्त बेल पत्र,ऋतु पुष्प, गंगा जल , शहद ,धतूरा, भांग, गन्ना, बेर और शक्ति के अनुसार उनके भोग प्रसाद से प्रतिदिन महादेव की पूजा अर्चना करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि सावन के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।
इन मंत्रों से करें भगवान भोलेनाथ की पूजा
महामृत्युंजय मंत्र
ऊँ हौं जूं स: ऊँ भूर्भुव: स्व: ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्.
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ऊँ भुव: भू: स्व: ऊँ स: जूं हौं ऊँ
शिव मंत्र- ऊँ नम: शिवाय